कथा-पटकथा लेखन|Katha Patkatha 11th Hindi Abhivyakti aur Madhyam Question Answer

कथा-पटकथा लेखन|Katha Patkatha Class 11th Hindi Abhivyakti aur Madhyam Question Answer

कथा-पटकथा

पाठ के महत्वपूर्ण बिन्दु/नोट्स

कथा-पटकथा' दो शब्द हैं। कथा-क्या है ? 

कहानी सुनने-सुनाने की

भारतीय पद्धति को कथा कहते हैं। पटकथा दो शब्दों के मेल से बना है-पट और कया। यहाँ कथा का अर्थ है कहानी और पट का अर्थ है-परदा। ऐसी कथा जो परदे पर दिखाई जाए। सिनेमा और टेलीविजन के लिए बनने वाली फिल्मों, धारावाहिकों का मूलाधार पटकथा होती है। जिसे 'स्क्रीन प्ले' भी कहते हैं। फिल्म व धारावाहिक के लिए सर्वप्रथम 'कथा' को आवश्यकता होती है।

• पटकथा के तत्व-पटकथा तैयार करने के लिए निम्नलिखित तीन तत्वों की आवश्यकता होती है-[class 11th hindi Patkatha ki mul ikai kya hai]

() खोत-पटकथा तैयार करने के लिए सर्वप्रथम चाहिए-कथा। कथा प्राप्त करने

के साधन हो स्रोत हैं। घटना, समाचार, काल्पनिक कहानी, ऐतिहासिक व्यक्तित्व,

सच्चा किस्सा, उपन्यास, कहानियाँ, कथानक ही पटकथा के स्रोत हैं।

(2) स्वरूप या विषय-जाने-माने हिन्दी के लेखक-प्रेमचन्द, धर्मवीर भारती, मन्नू

भंडारी आदि की रचनाएँ पटकथा का स्वरूप व विषय होती हैं। कामयाब नाटक,

उपन्यास पटकथा का विषय बन जाते हैं।

(3) संरचना-पटकथा लिखने के लिए उसकी संरचना या ढाँचा तैयार करना। पटकथा

को संरचना में पात्र, घटनास्थल, दृश्य, कहानी का क्रमिक विकास, द्वंद्व-टकराहट

और समाधान होते हैं जिन्हें पटकथा के अंग भी कहा जाता है। ये सब पटकथा

का डाँचा बनाते हैं, संरचना करते हैं।

'नाटक व फिल्म में मूलभूत अन्तर-नाटक व फिल्म दोनों का आधार पटकथा होती है परन्तु दोनों को पटकथा में निम्नलिखित मूलभूत अन्तर होते हैं-

(1) नाटक के दृश्य अधिक लम्बे होते हैं परन्तु फिल्मों में दृश्य छोटे-छोटे होते हैं।

(C) नाटक में सोमित घटना स्थल होता है, फिल्मों में घटनास्थल को कोई सीमा नहीं

होतो, हर दृश्य नए स्थान पर होता है।

(3) नाटक एक सजीव कला माध्यम है, अभिनेता अपने जैसे सजीव व जीवन्त दर्शकों

के सामने अपनी कला का प्रदर्शन करता है। सब कुछ वहीं, उसी वक्त घट रहा फिल्म में एक ही समय-खण्ड में अनेक घटनाएँ दिखाते हैं। हम भविष्य में होने वाली किसी घटना को दिखाते हैं।

.पलेशबैक तकनीक और फ्लैश फॉरवर्ड तकनीक में अन्तर-इन दोनो तकनीकों का होती है जिसमें हम अतीत में

 बटी किसी घटना को दिखाते हैं और फ्लैश सीरवाई।



कथा और पटकथा में अंतर

पटकथा के प्रकार

पटकथा के लिए सर्वप्रथम आवश्यक तत्व होता है


• पटकथा की मूल इकाई-पटकथा की मूल इकाई होती है-दृश्य। एक स्थान एक ही समय में लगातार चल रहे कार्य

 व्यापार के आधार पर एक दृश्य नामित होता है। इन तीनों में से किसी भी एक के बदलने पर दृश्य भी बदल जाता

 है। एक दृश्य दूसरे दृश्य को जोड़ने के लिये दृश्य के अन्त में कटटू', 'डिजॉल्वटू' जैसे शब्दक

प्रयोग होता है। जैसे रजनी नाटक में देखते हैं कि पहले दृश्य में रजनी-लीला ड्राइंगर

में बात करती हैं, बातें करती-करती रसोईघर में चली जाती हैं तो समय, कार्य-

व पात्र तो वहीं हैं, पर स्थान (घटना-स्थल) बदल गया। अतः पात्र सब एक ही।

परन्तु दृश्य बदल जाता है। इसी प्रकार कथानक को दृश्यों में बदलने का क्रम

बढ़ता जाएगा। यहाँ पर मुख्य दो बातें हैं- पहली है हमने किन आधारों पर दृश्य का

बँटवारा किया। घटनास्थल के बदलने तथा समय का अन्तर होने पर दृश्य बदल जो

हैं। दूसरी बात है-पटकथा लिखने का विशिष्ट ढंग। हमेशा दृश्य संख्या के साथ दृश्य है।

की लोकेशन या घटना स्थल लिखा जाता है-जैसे-कमरा, पार्क, सड़क उसके बाद

घटना का समय-दिन/रात/सुवह/शाम। दृश्य के शुरू में जानकारी दी जाती है कि

घटना खुली जगह, बन्द जगह, अन्दर या बाहर घट रही है। उसके लिए INT (अन्दर

EXT (बाहर) तीन शुरू के अक्षरों का प्रयोग किया जाता है। ये पटकथा लिखने का

अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रारूप है। सिनेमा या टेलीविजन के कार्यक्रमों के निमार

में वार्ड टेक्नीकल चीजों का सहारा लेना पड़ता है। पटकथा के शुरू में दिए गए संके

निर्देशक, कैमरा मैन, साउंड रिकॉर्डिस्ट डायरेक्टर की काफी मदद करते हैं। दश्य के

अन्त में बाट टू, डिऑल्व टू, फंड आदि जैसी जानकारियाँ निर्देशक को उनके

पटकथा और कम्प्यूटर-अब तो कम्प्यूटर पर ऐसे सॉफ्टवेयर आ गए है जिन

पटकमा लेखन का प्रारूप बना बनाया होता है। कम्प्यूटर पटकथा की त्रुटियाँ का

सहायता पहुँचाती है।

में समर्थ होता है। साथ ही सुधारने के सुझाव भी देखा है।


अभिक्ति और माध्यम (पाठ के महत्वपूर्ण बिन्दु नोट्स,]


प्रल 1लैशबैक तकनीक और फ्लैश फॉरवर्ड तकनीक के दो-दो उदाहरण दीजिए। आपने कई फिल्में देखी होगी। अपनी देखी किसी एक फिल्म को ध्यान में रखते हुए बताइए किनमें दृश्यों का बंटवारा किन आधारों पर किया गया?

उतर-फुलेशबैक वह तकनीक होती है जिसमें अतीत घटी हुई घटना को दिखाया

जाता है। लेश फॉरवर्ड वह तकनीक है जिसमें भविष्य में होने वाली किसी घटना को पहले

दिया जाता है। पाठ्य-पुस्तक आरोह' की कहानी गलता लोहा' में मोहन जब घर से

के को चार लगवाने के लिए शिल्पकार टोले की ओर जाने लगता है तो उसे स्कूल की

सामान्य त्रिलोक को बातें व बच्चों को पीटना याद आना उलशबैक है। लखनऊ जाकर

हकी भीड़-भाड़ तथा शोरगुल को सुनकर लश फॉरवर्ड में जाकर सोचता है कि वह भी

अच्छे कपड़े पहनकर, बस में बैठकर स्कूल पढ़ने जा रहा है। यह लश फॉरवर्ड है।

प्रकार राणेय राघव की कहानी गंगे पर फिल्म बनाते समय गूंगा देहलीज पर पड़ा है उसे

देखकर बोली को याद आता है कि एक माह पहले अनाथालय में गूंगे लड़के से मिली थी

और वहीं मुलाकात हुई थी। यही ग्लैशबैक तथा मोहन राकेश का नाटक अंडे के छिलके का

य' जब बीना को अंडे के छिलके भरा मोजा मिलता है तो वह सोचती है कि अगर सास यह

मोजा देख लेगी तो छिलके मोजे में से निकाल कर बुरा-भला कहेगी और यह फ्लैश फॉरवर्ड

है। शबैक और प्लैश फॉरवर्ड के तुरन्त बाद वर्तमान में आना पड़ता है ताकि दर्शकों के

नमें किसी प्रकार का असमंजस न हो। 'सुई-धागा' फिल्म देखी थी। एक स्थान पर, एक

वही समय में लगातार चला रहे कार्य व्यापार के आधार पर एक दृश्य निर्मित होता है। जब इन

तीनों में से कोई एक बदल जाता है तो दृश्य भी बदल जाता है।

प्रन 2. पटकथा लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है और -पटकथा एक चरणवद्ध प्रक्रिया है जो फिल्म या टेलीविजन के लिए लिखी जाती है। पटकथा लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(1) दृश्य संख्या के साथ दृश्य की लोकेशन या घटना स्थल लिखा जाता है।

(2) चटना के समय का संकेत-सुबह शाम/दिनारात आदि।

(3) पात्रों की गतिविधियों के संकेत प्रत्येक दृश्य के प्रारम्भ में देने चाहिए।

14) पात्रों के संबाट बोलने के ढंग हेतु निर्देश भी देने चाहिए।

15) प्रत्येक दृश्य के अन्त में डिजॉल्ब, फेड आउट, कट टू जैसी जानकारी अवश्य


संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् निबन्ध

विद्यार्थीजीवनम् (अथवा छात्रजीवनम्) निबन्ध

स्वस्य प्राचार्य कृते अवकाशार्थम् एक प्रार्थनापत्र संस्कृते

वाद विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर अपने मित्र को बधाई पत्र

स्थानान्तरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने हेतु प्राचार्य को आवेदन-पत्र


अतिरिक्त परीक्षोपयोगी प्रश्नोत्तर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.कथा किसे कहते हैं ?

उत्तर-कहानी सुनने-सुनाने की भारतीय पद्धति को कथा कहते हैं। (विकीपीडिया)


प्रश्न 3. पटकथा की संरचना में किस-किसका ध्यान रखते हैं?

इन्द्र-टकराहट और समाधान का ध्यान रखा जाता है।

प्रश्न 4. पटकथा की मूल इकाई क्या होती है?

उत्तर-पटकथा की मूल इकाई दृश्य होती है।

प्राश्न 5. दृश्य के निर्माण में मुख्य किन आधारों का ध्यान रखा जाता है।

उत्तर- स्थान, समय और कार्य व्यापार के आधार पर दृश्य का निर्माण होता है।

• लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न . बिजली इंजीनियर व जन प्रतिनिधि के बीच शिकायत का एक लापता लिखिए।

दृश्य-प्रथम

पात्र : विजली इंजीनियर, जनता का प्रतिनिधि, चपरासी।

स्थान: बिजली इंजीनियर का कार्यालय।

समय: दिन के 11 बजे।

(बिजली इंजीनियर के कमरे के बाहर उसके नाम की तख्ती लगी है जिस पर मिलेगा

समय अंकित है। कार्यालय के बाहर एक बैंच व कुर्सी है जिस पर चपरासी व कुछ प्रतिमा

बैठे हैं।

जन प्रतिनिधि-(चपरासी से) कितनी देर और बैठना होगा?

चपरासी-जब साहब घंटी बजाएँगे, हम आपको भेज देंगे।

(उसी समय बंटी बजती है और चपरासी जन प्रतिनिधि को अन्दर भेजता है।

प्रतिनिधि देखता है कि इंजीनियर साहब कुछ कागजों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, बैठने काम

करते हैं।

इंजीनियर-कहिए?

जन प्रतिनिधि-मैं इन्दौर का निवासी हूँ। चार महीने से पूरे क्षेत्र की लगभग 1

मीट लाइट खराब है। उन्हें ठीक करवा दीजिए।

इंजीनियर-आपने प्रार्थना-पत्र दिया ?

जन प्रतिनिधि-तीन प्रार्थना-पत्र दे चुका हूँ पर कोई सुनता नहीं।

इंजीनियर-आज प्रार्थना-पत्र लाए हैं ?

जन प्रतिनिधि-लीजिए।

(जीनियर प्रार्थना-पत्र पढ़ते हैं, वह कहते है।

इंजीनियर-एक सप्ताह में स्ट्रीट लाइट ठीक हो जाएंगी।



कथा-पटकथा लेखन class 11th hindi pdf
Katha Patkatha 11th Hindi Abhivyakti aur Madhyam pdf



अभिव्यक्ति और माध्यम (पाठ के महत्वपूर्ण बिन्दु/नोट्स..... प्रश्नोत्तर) 

जन प्रतिनिधि-आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

(ऐसा कहते हुए जन प्रतिनिधि कार्यालय से बाहर निकल जाता है।)

प्रश्न 2. प्रधानाचार्य व अभिभावक के बीच छात्र की बीमारी से सम्बन्धित एक का बीच लघु पटकथा लिखिए।

उत्तर-

दृश्य-प्रथम

पात्र : प्रधानाचार्य, अभिभावक, चपरासी।

स्थान : प्रधानाचार्य का कार्यालय।

समय : दिन के 10 बजे।

(प्रधानाचार्य के कार्यालय के दरवाजे पर उनके नाम की तख्ती व मिलने का समय

लिखा है। कार्यालय के बाहर कुर्सी पर चपरासी बैठा है।)

अभिभावक-प्रधानाचार्य हैं ?

चपरासी-जी हाँ, हैं।

अभिभावक-मेरे आने की सूचना दे दो।

(चपरासी उठकर अन्दर जाता है व बाहर आकर अभिभावक को अन्दर भेजता है)

अभिभावक का कार्यालय में प्रवेश होता है।)

दृश्य-द्वितीय

अभिभावक-नमस्ते।

प्रधानाचार्य-नमस्ते, बैठिए, क्या काम है ?

अभिभावक-मेरा बच्चा जो कक्षा 8 में पढ़ता है वह वार्षिक परीक्षा नहीं दे सकता,

क्योंकि उसे मोतीझरा निकल आया है।

प्रधानाचार्य-ठीक है, आप छुट्टी का प्रार्थना-पत्र दे दीजिए व बीमारी का प्रमाण-पत्र

बाद में दे दीजियेगा।

अभिभावक-धन्यवाद, (प्रार्थना-पत्र देते हैं) नमस्ते।

(अभिभावक कार्यालय से बाहर निकलकर चले जाते हैं)

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