9वी सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न |class 9th social science half yearly paper solution

9वी सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न |class 9th social science half yearly paper solution

Half yearly 9th social science - हैलो दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारी वेबसाइट  में और आज के इस नयी पोस्ट में हम 9वी सामाजिक विज्ञान अर्धवार्षिक परीक्षा 2021 की तैयारी करेंगे और आप हमारी वेबसाइट  के माध्यम से कक्षा-9वीं के सभी विषय की अर्द्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी भी कर सकते हैं आपको हमारी वेबसाइट के माध्यम से सभी विषयों के महत्वपूर्ण प्रश्न और इनके उत्तर प्रदान किए जाएंगे 





9वी सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न
9वी सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न



समकालीन भारत भाग-1

अध्याय 1

भारत-आकार और स्थिति

निर्देशः इस अध्याय से 1 प्रश्न 00 अंक के होंगे।

लघुत्तरीय प्रश्न प्रत्येक के लिये अंक)-

प्रश्न (1) मानक समय से आप क्या समझते हैं?

उत्तर भारत का देशॉरिय विस्तार 687 पूर्व से 9725 पूर्वी देशांतर के मध्य (लगभग 30) स्थित है। इतना

अधिक देशांतरिय विस्तार भातर के पूर्वी और पश्चिमी भाग में दो घण्टे का समयांतर उत्पन्न करता है।

सम्पूर्ण भारत के लिये एक समय जोन निर्धारित करने के लिये भातर की मध्य देशांतर रेखा 8230° पूर्वी

देशांतर रेखा को भारत का मानक याम्योत्तर निर्धारित किया गया है।


प्रश्न (2) विश्व के संदर्भ में भारत की स्थिति का वर्णन कीजिए।

उत्तर भारतीय भू-खंड एशिया महाद्वीप के पूर्व और पश्चिम के मध्य में स्थित है। भारतीय भु-भाग ऐशिया महाद्विर

का दक्षिणी विस्तार है। हिन्द महासागर जो कि पश्चिम में यूरोपीय देशों को मिलाता है। भारत को केन्द्रिय

स्थिति प्रदान करता है। भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.4% है। भारत विश्व

का सातवा बड़ा देश है।

प्रश्न (3) भारत की स्थिति एवं विस्तार का वर्णन करिए।

उत्तर भारत की स्थिति - भारत विषुवत रेखा के उत्तर में 84' अक्षांश से 37°6' उत्तरी अक्षांश तथा 6807' पूर्व

से 9725' पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। कर्क रेखा 23 अक्षांश भारत के मध्य से होकर गुजरती है।

821"पूर्वी देशांतर रेखा भारत के मध्य से गुजरकर भारत को दो भागों में बांटती हैं।

भारत का उत्तर-दक्षिण विस्तार 3214 कि.मी. एवं पूर्व से पश्चिम विस्तार 2933 कि.मी. है। इसकी स्थलीय

सीमा 15,200 कि.मी. एवं कुल समुद्री सीमा 7516.6 कि.मी. है। इसका क्षेत्रफल 32,87263 वर्ग कि.मी. है।

यह विश्व का सातवां बडा देश है।

प्रश्न (4) भारत की भौगोलिक स्थिति का महत्व समझाइए।

उत्तर. भारत विषुवत रेखा के उत्तर में उत्तरी गोलार्द्ध में स्थिति है। भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है।

केन्द्रीय स्थिति के निम्न महत्व है-

1. अंतर्राष्ट्रीय जलमार्गों का केन्द्र है।

2. हिन्द महासागर के शीर्ष में स्थित होने के कारण आफ्रीका एवं आस्ट्रेलिया महाद्वीपों से जुड़ा है।

3. प्राकृतिक बन्दरगाहों की सुविधा

4. अंतर्राष्ट्रीय वायुमार्गों का संगम स्थल है।


अध्याय 2

भारत का भौतिक स्वरूप

निर्देशः इस अध्याय से एक अतिलघुप्तत्तीय 2 अंक के एवं एक दीर्घउत्तरीय प्रश्न 06 अंक का होगा।

अतिलघुत्तरीय प्रस्न (प्रत्येक के लिये 2 अंक)-

प्रश्न (1) भारतीय मरुस्थल के बार में लिखिए।

उत्तर.

L. यह अरावली पर्वत के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।

11. 150 से.मी.कम वर्षा होती है।

III. वनस्पति कम पाई जाती है।

प्रश्न (2) भारतीय भू-आकृति विभागों के नाम लिखिए।

उत्तर भारत के प्रमुख भौतिक विभाग निम्नलिखित हैं-

i. हिमालय पर्वत श्रृंखला

ii. उत्तरी मैदान

iii.प्रायद्वीपीय पठार

iv.भारतीय मरुस्थल

v. तटीय मैदान

vi. द्वीप समूह

प्रश्न (3).प्रयाल से आप क्या समझते है? प्रवाल के प्रकार लिखिए।

उत्तर. प्रवाल कम समय तक जीवित रहने वाले सूक्ष्म प्राणी है जो समुद्रों में समूह मे रहते हैं।

प्रवाल के प्रकार -1. प्रवाल रोधिका 2 तटीय प्रवाल नित्ती 3. प्रवाल वलय

प्रश्न (4).हिमालय पर्वत के अंतर्गत महान हिमालय को समझाइए।

उत्तर. 1. हिमालय पर्वत की सबसे उत्तरी भाग की पर्वत श्रेणियों महाहिमालय कहलाती हैं।

2. इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर के लगभग है।

3. इसमें हिमालय के प्रमुख शिखर स्थित हैं।

प्रश्न (5).बांगर एवं खादर से आप क्या समझते है?

उत्तर. बांगर-पुराने जलोढ अवसादों से निर्मित उच्च आकार के भू स्थल को बांगर कहते हैं। ऊँचाई के कारण

बाड़ का जल यहाँ तक नहीं पहुँचता है।

खादर-बाढ़ की नवीन जलोढ मिट्टी से निर्मित निचले मैदानों को खादर कहते हैं। यह संपूर्ण भाग बाढ

का मैदान है। 3 दक्कन के पठार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

प्रश्न (6).दक्कन के पठार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर. दक्षिण का पठार एक त्रिभुजाकार भू-भाग है। यहाँ सतपुडा, महादेव, कैमूर और मैकाल की पर्वत श्रृंखला

है। इस पठार काढाल पश्चिम में ऊँचा और पूर्व में कम ढाल वाला हैं। इसे स्थानीय रुप से 'मेघालय

कार्थी एंगलोंग पठार' एवं उत्तर कचार-पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। दक्षिण के पठार के पूर्व में

पूर्वी घाट एवं पश्चिम में पश्चिमी घाट हैं।

2

दीर्घउत्तरीय प्रश्न प्रत्येक के लिये 05 अंक)-

प्रश्न (1) भावर और तराई प्रदेश का वर्णन करिए।

उत्तर. भावर : हिमालय की नदियाँ पर्वतों के नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि.मी. की चौड़ी

पट्टी में (गुटिका) कंकड़ पत्थर का निक्षेप करती है। इसे भावर कहते हैं। इस पट्टी में सरिताऐं विलुप्त हो

जाती हैं।

तराई : भावर की पट्टी के दक्षिण में सरिताएँ पुनः निकल जाती हैं। यहाँ नम तथा दलदली क्षेत्र का

निर्माण करती हैं प्रदेश को तराई प्रदेश कहते हैं।

प्रश्न (2).पूर्वी तटीय मैदान एवं पश्चिमी तटीय मैदान में अंतर लिखिए।

उत्तर.

पूर्वी तटीय मैदान

पश्चिमी तटीय मैदान

1 पूर्वी तटीय मैदान बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत (1) पश्चिमी घाट के तथा समुद्र के किनारे

मैदान चौडा और समतल है। संकीर्ण मैदान है तट को उत्तर में उत्तरी सरकार तट एवं दक्षिण भाग 2) तट के उत्तरी भाग को कोंकण तट, मध्य को को कोरामंडल कहा जाता है।

कन्नड़ का मैदान मालाबार तट कहते हैं।

पूर्वी तट की प्रमुख नदियाँ महानदी, गोदावारी, कृष्णा (3) माही. साबरवती, नर्मदा एवं ताप्ती हैं।

और कावेरी हैं जो विशाल डेल्टा बनाती हैं।

प्रश्न (3) भारत को कितने भौतिक विभागों में बांटा गया है? किसी एक का वर्णन करिए।

उत्तर. भारत के प्रमुख भौतिक विभाग निम्नलिखित हैं:-

1. हिमालय पर्वत अंखला

2. उत्तरी मैदान

3. प्रायद्वीपीय पठार

4. भारतीय मरुस्थल

5. तटीय मैदान

6. द्वीप समूह

हिमालय पर्वत -भारत उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय पर्वत हैं। ये पर्वत श्रृंखलाएं पश्चिम-पूर्व दिशा में

सिन्धु से लेकर ब्रहमपुत्र तक फैले हैं। यह विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला है। यह अर्धवृत्त रुप में

2400 कि.मी. की लंबाई में फैले हैं। इनकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर है। इस पर्वत श्रृंखला के बीच कुछ

महत्वपूर्ण धाटियाँ देहरादून, कोटलीदून और पाटलीदून हैं। पूर्वाचल में पटकोई, नागा, मिजो तथा मणिपुर

पहाडियों है।


प्रश्न (4). संक्षिप्त विवरण दीजिए।

उत्तर 1. भारतीय तटवर्ती क्षेत्र:- इसे दो भागों में बांटा गया है

i. पश्चिमी तटीय मैदान

ii. पूर्वी तटीय मैदान

2. भारतीय द्वीप समूह :-इसे दो भागों में बांटा गया है

1. अरब सागर में- लक्षद्वीप

ii. बंगाल की खाड़ी- अंडमान एवं निकोबार

1

अध्याय

अपवाह

निर्देशः इस अध्याय से एक दीर्घउत्तरीय प्रश्न 6 बंक का होगा।

दीर्थउत्तरीय प्रश्न प्रत्येक के लिये 05 अंक)-

प्रश्न (1).सिंधु नदी तंत्र को समझाइए।

उत्तर. सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत से है। पश्चिम की ओर बहती हुई यह भारत में

लद्दाख से प्रवेश करती है। सिंधु की सहायक नदियों सतलुज, व्यास, रावी, चेनाव है।

अंत में यह नदी कराची के पूर्व की ओर अरब सागर में मिल जाती है। (विस्तार करने पर पूर्ण अंक)

प्रश्न (2) झीलों के महत्व को समझाइए।

उत्तर. झीलों का महत्व -

1. नदी के बहाव को सुचारु बनाने में सहायक

2. बाढ़ पर रोक लगाती है।

3. सूखे के समय जल की सुविधा

4. जलविद्युत की उत्पादन

5. प्राकृतिक सुंदरता व पर्यटन को बढ़ावा

प्रश्न (3) हिमालय तथा प्रायद्वीप नदियों की तुलना कीजिए।

उत्तर.

हिमालय से निकलने वाली नदियों

प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियाँ

ये हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती है जिसके कारण (1) ये पर्वत या पठारों से निकलती है। अतः इनमें

ये सदावाहिनी होती हैं।

वर्ष भर जल नहीं रहता है।

2 इसका अपवाह क्षेत्र बहुत बड़ा है जैसे-गंगा और (2) इसका अपवाह क्षेत्र बहुत छोटा होता है।

3 सिंचाई एवं जहाजरानी के लिये उपयुक्त

(3) ऊँचा नीचा भाग होने के कारण यहाँ जल विद्युत

उत्पादन होता है।

नदियों के तटो पर व्यापारिक नगर बसे हैं। (4) नदियों के तटों पर बड़े नगरों का अभाव है।

प्रश्न (4) गंगा नदी तंत्र को समझाइए।

उत्तर भारत के उत्तरी मैदान की प्रमुख नदी गंगा है। इसकी लंबाई 2500 कि.मी. से अधिक है। यह गंगोत्री

हिमनद से 4000 मीटर की ऊँचाई से निकलकर शिवालिक श्रेणियों को पार करके हरिद्वार के मैदान में

प्रवेश करती है। इसकी सहायक नदियों यमुना, घाघरा, गंडक और कोसी प्रमुख है। इसमें नदी मोड़ तथा

गोखुर झीलें पाई जाती है।

प्रश्न (5) नदी प्रदूषण को विस्तार से समझाइए।

उत्तर नदी प्रदूषण-

1. उद्योगों का प्रदूषण तथा अपरिष्कृत कचरे के मिलने से नदी का जल प्रदूषण होता है।

नदी प्रदूषण कम करने के उपाय -

1. प्रदूषण के निराकरण हेतु सरकारी योजनाएं

ii. औद्योगिक कचरे पर प्रतिबंध

सीवेज जल का परिष्करण

iv. नदियों की सफाई

V. नदी प्रदूषण हेतु जागरुकता अभियान

ब्रहमपुत्र नदी

4

20

प्रश्न (6) भाखड़ा नांगल परियोजना क्या है?

उत्तर 1. भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर बनी है।

2. यह देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशी नदी घाटी परियोजना है।

3. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य जल विद्युत उत्पादन है।

प्रश्न (1) पश्चिम बंगाल का शोक किस नदी को कहा जाता है, और क्यों ?

उत्तर. दामोदर नदी को बंगाल का शोक कहते हैं। प्रतिवर्ष नदी में बाढ़ आती है और यह किनारों के ऊपर से

बहने लगती है। इससे अपार जन धन की हानि होती है।

प्रश्न (8), 'नमामि गंगे' परियोजना को समझाइए।

उत्तर. नमामि गंगे' परियोजना एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, इसमें राष्ट्रीय नदी गंगा से संबंधित दो उद्देश्यों

प्रदूषण के प्रभाव को कम करना, उनके संरक्षण और कायाकल्प बदलना है।

प्रश्न (9),राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना क्या है?

उत्तर. वर्ष 1995 में राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना प्रारंभ की गई। इसके अंतर्गत अन्य नदियों को जोड़ने के लिए

गंगा फार्म योजना का विस्तार किया गया।

प्रश्न (10) भारत के मानचित्र में निम्नलिखित नदियों व झीलों को दर्शाईये।

1. गंगा, सतलज, दामोदर, कृष्णा, नर्मदा, ताप्ती, महानदी, दिहांग नदी

2 चिल्का, सांबर, वूलर, पुर्लिकट तथा कोलेरू झील

#

110 कि.मी.

अध्याय

जलवायु

निर्देश इस अध्याय से एक मधुत्तरीय प्रश्न 00 का होगा।

समुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1) तमिलनाडू में शीत ऋतु में वर्षा क्यों होती है?

उत्तर, शीत ऋतु में उत्तर पश्चिमी भारतीय क्षेत्र में कम ताप के कारण अधिक वायुदाब के केन्द्र बनने से हवाएँ

दक्षिण पूर्व की ओर चलने लगती है जब ये बंगाल की खाड़ी के ऊपर से गुजरती है तो नमी धारण कर

तमिलनाडू में शीत काल में वर्षा करती है।

प्रश्न (2).भारतीय कृषि को मानसून का जुआ क्यों कहते हैं?

उत्तर." वर्षा की अनिश्चिताएँ एवं वर्षा का असमान वितरण कृषि चक एवं मानव जीवन को प्रभावित करती है इसी

कारण भारतीय कृषि को मानसून का जुआ कहते है।

प्रश्न (३).जेट स्ट्रीम क्या है।

उत्तर, यह एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊँचाई वाली पश्चिमी हवाएँ है। इनकी गति गर्मी में

प्रति घंटा एवं सर्दियों में 184 कि.मी. प्रति घंटा होती है। सबसे स्थिर मध्य अक्षाशीय एवं

उपोष्ण कटिबंध की जेट हवाएं होती हैं।

प्रश्न (4).एलनीनों से आप क्या समझते है?

उत्तर, ठटी पेरु जलधारा के स्थान पर अस्थायी तौर पर गर्म जलधारा की उत्पत्ती को एलनीनों का नाम दिया

गया। एलनीनों की उत्पत्ति स्पेनिश शब्द से हुई है जिसका अर्थ है बच्चा तथा जो बेबी काइस्ट को व्यक्त

करता है। यह धारा क्रिसमस के समय चलना प्रारंभ होती है तथा समुद्र के तापमान को बना देती है।

प्रश्न (6) भारतीय मानसून को एकता का परिचायक क्यों कहा जाता है?

उत्तर.

1. मानसून हयाओं की दिशाओं का ऋतुओं के अनुसार परिवर्तन होता है।

भूदृश्य, इसके जीव तथा वनस्पति, कृषि चक मान जीवन तथा त्यौहार उत्साय पर

मानसून का प्रभाव पड़ता है। जो एकता का परिचायक है।

प्रश्न (0) उत्तर भारत में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम की ओर क्यों घटती जाती है?

उत्तर. दक्षिणी पश्चिमी मानसून हवाएं उत्तर पूर्व में गारो, खासी एवं जयतिया पहाड़ियों से कराकर सर्वाधिक वर्षा

उत्तर पूर्वी भाग में कर देती है और पश्चिम की ओर मुख जाती है।

प्रश्न (7) भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से है?

उत्तर. भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक :-

अक्षांश


संपूर्ण भारतीय

ऊंचाई

वायुदाब एवं पवने

जेट धाराएं (संक्षिप्त वर्णन करें)

प्रश्न (a).भारत के मानचित्र में सर्वाधिक वर्षा वाले राज्यों को दर्शाईये।

WITH

प्रश्न (0).भारतीय ग्रीष्म ऋतु, भारतीय शीत ऋतु ।

उत्तर, भारतीय ग्रीष्म ऋतु -ग्रीष्म ऋतु में उत्तर भारत में तापमान अधिक होने के कारण वायुदाब कम होता है।

हिन्द महासागर

में उच्च वायुदयाब रहता है। ग्रीष्मकाल में स्थानीय पवन, लू, वैशाली में सक्रिय हो जाती

है। देश के उत्तर पश्चिम भाग में तापमान 46 से 40' सेल्सियस तक हो जाता है। इस ऋतु बंगाल

और असम उत्तरी-पश्चिमी पवनों द्वारा तेज बौछारें पड़ती है।

भारतीय शीत ऋतु -उत्तर भारत में शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरंभ होकर फरवरी तक रहती है। उत्तर

भारत में विसंबर एवं जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं। दिन गर्म और राते उसी होती है। चेन्नई का औसत

तापमान 24 से 26° सेल्सियस रहता है, जबकि उत्तरी मैदानों में 10 से 15° सेल्सियस रहता है।

शीतकाल में वर्षों केवल तमिलनाडू के तट पर होती है। शीतकाल में होने वाली वर्षा को स्थानीय तौर पर

'महावट कहा जाता है।

प्रश्न (10) मानसून से आप क्या समझते हैं ? भारतीय मानसून वर्षों की विशेषताएं लिखिए ?

उत्तर, मानसून शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के मौसिम (Mausim) से हुई है। इसका आशय मौसम या मौसम

के अनुसार चलने वाली हयाओं को मानसून हवाएँ करते है।

भारतीय मानसून वर्षों की विशेषताएं -

1. मानसून का समय जून से प्रारंभ होकर मध्य सितंबर तक 100 से 120 दिनों का होता है।

2. सामान्यतः जून के प्रथम सप्ताह में मानसून का भारतीय प्रायद्वीप में आगमन होता है।

3. मानसून पवनों की शाखाएँ (अरब सागर, बंगाल खाडी)दोनों परस्पर गंगा के मैदान में आपस में मिल

4 भारत में मानसूनी वर्षा का समय निश्चित नहीं होता है। कभी समय से पूर्व कभी समय पर नहीं होती

#

अध्याय 5

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

निश इस अध्याय से एक लघुछत्तीय प्रल बैंक का होगा।

मपुत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1) प्राकृतिक बनस्पति से क्या आशय है? देशज और विदेशज बनस्पति में अंतर लिखिए।

उत्तर. वह बनस्पति जो कि मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होती है और लंबे समय तक उन पर

मानव प्रभाव नहीं पड़ता है।

विदेशण वनस्पति

वनस्पति जो मूल रूप से भारतीय है देशज

जो बनस्पति भारत के बाहर से आई वे

वनस्पति कहलाती है।

विदेशज वनस्पति कहलाती है।

प्रश्न (2).वनों का महत्व

उत्तर. बनों का महत्व-

1. बनों से इमारती एवं जलाऊ लकडी प्राप्त होती है।

2. वनों से उद्योगों को कच्चा माल मिलता है।

3. कई गीण पदार्थ-बाँस, बैत, लाख, शहद, गौद व जड़ी बूटियाँ प्राप्त होती है।

की | शरण स्थलीय है।

प्रश्न (३) प्रवासी पक्षी से क्या आशय

है? भारत में आने वाले प्रवासी पक्षियों के बारे में लिखिए।

उत्तर. उत्तरी एशिया से भारत में

भारत में अल्पकाल के लिए आने वाले पतियों को प्रवासी भी कहते है। लाल सुंदर

कलगी वाली फ्लेमिंगोए प्रमुख प्रवासी पक्षी है।

प्रश्न (प्रत्येक के लिये )-

प्रश्न (1) भारत के औषधीय पौधे कौन-कौन से है? किन्हीं चार की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।

उत्तर. भारत के औषधीय पौधे निम्न है-

सर्पगधा, जामुन्, अर्जुन बबूल, नीम, तुलसी, पादप, कचनार आदि। (संक्षिप्त वर्णन करने पर पूर्ण अंक)

प्रश्न (2) वन और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए है?

उत्तर, सरकार ने वन और वन्य प्राणी सुरक्षा के लिए निम्न लिखित कदम उठाए हैं-

1. (आरक्षित क्षेत्र) जीव मंडल निचय की स्थापना

पादप उद्यानों की स्थापना

3. शेर सरक्षण, गजा संरक्षण, भारतीय भैसा संरक्षण तथा पारिस्थितिक संतुलन योजनाएँ

103 नेशनल पार्क एवं 535 वन्य प्राणी अभयवन एवं चिड़ियाघर बनाए गए।


प्रश्न (3) मैग्रोव बन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर. 1. मैग्रोव वन तटवर्ती भागों में ज्वार भाटा क्षेत्र में पाये जाते हैं।

2. इन पौधों की जडे पानी में डूबी रहती है।

3. इसका मुख्य वृक्ष सुबरी है।

4. इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है।

प्रश्न (4).सदाबहार वन एवं पतझड़ वन में अंतर लिखिए ?

सदाबहार बन

पतझड़ बन

बन सदा हरे भरे, अन्यत सघन और लंबे होते हैं। (1) ये अपेक्षाकृत कम घने, छोटे एवं ग्रीष्म काल में अपनी

पत्तियों गिरा देते हैं।

2 इन वनों में एक साथ अनेक जातियों के वृक्ष पाए (2) साल एवं सागवन जैसे उपयोगी वृक्ष पाए जाते हैं।

जाते हैं।

मानसून, महोगनी तथा रोजबुड व्यापारिक महत्व के (3) ये विरल बन है। एक जाति के वृक्ष समूह में साथ

वृक्ष है।

मिलते हैं।


प्रश्न (6) भारत के मानचित्र में वनों को दर्शाईये।


1.

उत्तर. पाठ्यपुस्तक समकालीन भारत भाग-1 के पृष्ठ क्र. 48

प्रत्न (6).भारत में कितने प्रकार के वन पाये जाते है ? किन्ही दो का वर्णन करिए।

उत्तर, भारत में निम्न प्रकार के वन पाये जाते हैं -

ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन

2 ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

ऊष्ण कटिबंधीय कटीले वन तथा झाड़ियों

4. पर्वतीय वन

5. मैग्रोव वन

3

24

ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन-

i. जिन प्रदेशों में वर्षा 200 से.मी. से अधिक होती है यहाँ ये वृक्ष पाये जाते हैं।

ii. ये वृक्ष 60 मीटर से ऊँचे होते है।

iii. ये वन परिचमी घाट, मेघालय तथा उत्तरी पूर्व भारत में पाये जाते हैं।

ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन-

1. जहाँ वर्षा 75 सेमी. से 200 से.मी. से अधिक होती है यहाँ ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन पाये

जाते हैं।

i. इन वनों को मानसूनी वन कहते हैं।

iii. ये वन पत्विमी बिहार, दक्षिण उत्तर प्रदेश, प. मध्यप्रदेश. पूर्वी महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक

में पाये जाते है।

iv. आर्थिक दृष्टि से ये महत्वपूर्ण होते हैं।

प्रश्न (7) भारत वन्य प्राणियों की दृष्टि से बनी है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर. हमारा देश विश्व के मुख्य 12 जैव-विविधता वाले देशों में से एक है।

1. भारत में लगभग 2000 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जो विश्य का 13 प्रतिशत है।

2 भारत में मछलियों की 2546 प्रजातियाँ है। जो वित्य का लगभग 12 प्रतिशत है।

3. यहाँ हाथी. एक सींग वाले गेंडे, जंगली गधे तथा ऊँट भारतीय भैसा, नील गाय एवं बंदरों की अनेक

प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत विश्व का अकेला देश है जहाँ शेर तथा बाघ दोनों पाये जाते हैं।

भारत और समकालीन विश्व भाग-1

अध्याय 1

फ्रांसीसी क्रांति

निर्देश इस अध्याय से एक अतिलघुउत्तीय प्रल अंक का. एक लघुउत्तरीय प्रश्न 0 अंक का एवं एक

दीर्घउत्तरीय प्रल अंक का होगा।

अतिलघुउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1).लुई 16ये के समय फ्रांस की आर्थिक स्थिति कैसी थी?

उत्तर लुई 16ये के समय फ्रांस की आर्थिक स्थिति दयनीय थी जिसके लिये सरकार की फिजूलखर्ची, राजा का

सरकारी व्यय पर विलासितापूर्ण जीवन एवं राज्य की कर व्यवस्था जिम्मेवार थी।

प्रश्न (2].1784ई. की फ्रांस की कांति का तात्कालिक कारण क्या था?

उत्तर एस्टेटस जनरल (प्रतिनिधि सभा) का अधिवेशन तथा टेनिस कोर्ट की शपथ

प्रश्न (5) जेकोविन क्लब के सदस्य कौन थे?

उत्तर जेकोयिन क्लब के सदस्य मुख्यतः छोटे दुकानदार तथा कारीगर-जैसे-जूता चप्पल बनाने वाले. पेस्टी

बनाने वाले. घडीसाज, छपाई करने वाले और नौकर व दिहाड़ी मजदूर आदि थे जो समाज के कम समृद्ध

हिस्से से आते थे।

लघुउत्तरीय प्रलाईप्रत्येक के लिये बंक)

प्रश्न (1) फ्रांसीसी क्रांति में दार्शनिकों के योगदान को लिखें?

उत्तर फ्रांसीसी क्रांति में फ्रांस के दार्शनिकों का अहम योगदान है। जॉन लॉक और ज्यों जाक रुसों जैसे

दार्शनिकों ने स्वतंत्रता, समान नियमों तथा समान अवसरों के विचार पर आधारित समाज की परिकल्पना

की है। यह किसी व्यक्ति की सामाजिक हैसियत का आधार उसकी योग्यता को मानने पर बल देते थे।

लॉक में राजा के दैवीय और निरंकुश अधिकारों के सिद्धांत का खंडन किया था। रूसो ने इसी विचार को

आगे बढ़ाते हुए जनता और उसके प्रतिनिधियों के बीच एक सामाजिक अनुबंध पर आधारित सरकार का

प्रस्ताव रखा।

मॉन्टेस्क्यू ने दि स्पिरिट ऑफ द लॉज नामक रचना में सरकार के अंदर विधायिका, कार्यपालिका

और न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात की।

इनके विचारों ने फ्रांस के जनमानस को कांति के लिए प्रेरित किया।

25

प्रश्न (2) फ्रांसीसी समाज की महिलाओं का जीवन कैसा था?

उत्तर. फ्रांसीसी समाज में अहम परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण था। उन्होंने

अपने हितों की हिमायत करने फ्रांस के विभिन्न शहरों में लगभग 60 राजनीतिक क्लब शुरु किये थे. उनमें

द सोसायटी ऑफ रेबलूशनरी एंड रिपब्लिकन विमेन सबसे मशहूर क्लब था। उनकी एक प्रमुख मांग यह

थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए।

वहीं तीसरे एस्टेट की अधिकांश महिलाएं जीवन निर्वाह के लिए काम करती थीं ये सिलाई-बुनाई,

कपड़ों की धुलाई, फल-फूल सब्जीयों बेचना अथवा संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं। अधिकांश

महिलाओं के पास पढ़ाई लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के मौके नहीं थे। केवल कुलीनों की लड़कियों

अथवा तीसरे एस्टेट के धनी परिवारों की लड़कियों ही कॉन्चेंट में पढ़ पाती थीं। महिलाओं की मजदूरी

पुरुषों की तुलना में कम थी।

प्रश्न (5) नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है ?

उत्तर. नेपोलियन बोना पार्ट(1780ई. 1821ई) - नेपोलियन का जन्म 1700ई. में कोर्शिका द्वीप की राजधानी

अजासियो में हुआ था। नेपोलियन असाधारण प्रतिभा का स्वामी था। फ्रांस की डिरेक्ट्री (निर्देशिका) द्वारा

उसे फ्रांसीसी सेना का सेनापति नियुक्त किया गया था।

10 नवंबर 1798ई. का नेपोलियन ने डिरेक्ट्री को भंग करके फ्रांस की सत्ता अपने हाथों मेंले ली।

1800ई. में नेपोलियन ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। उसने यूरोप के अनेक राज्यों को

जीत कर फ्रांस के साम्राज्य में मिला लिया।

नेपोलियन ने आस्ट्रिया (1805ई.) प्रशा (1806ई.) तथा रुस (1807ई) को पराजित करके फ्रांस की

शक्ति और प्रतिष्ठा को शिखर पर पहुंचा दिया था। वह इंग्लैंड को भी पराजित करना चाहता था परन्तु

1815ई. में वाटर लू के युद्ध में मित्र राष्ट्रों की सेना ने नेपोलियन को पराजित कर बन्दी बना लिया। सन्

1821ई. में सेंट हेलेना द्वीप पर बन्दी जीवनकाल में ही उसकी मृत्यु हो गयी।

प्रश्न (4) फ्रांस में दास प्रथा का उन्मूलन कैसे हुआ? समझाइए।

उत्तर. फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास प्रथा का उन्मूलन जेकोबिन शासन के क्रांतिकारी विचारों में से एक था।

18वीं सदी में फ्रांस में दास प्रथा मुक्ति हेतु नेशनल असेम्बली में लम्बी बहस हुई परन्तु दास

व्यापार पर निर्भर व्यापारियों के विरोध के भय से नेशनल असेम्बली में कोई कानून पारित नहीं किया गया

1794ई. के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी दासों की मुक्ति का कानून पारित कर दिया। परन्तु

यह कानून ज्यादा दिन लागू नहीं रह पाया, 10 वर्ष पश्चात् नेपोलियन ने दास प्रथा पुनः शुरु कर दी।

बामान मालिकों को अफ्रीकी नीग्रो लोगों को गुलाम बनाने की स्वतंत्रता मिल गयी।

अततः फ्रांसीसी उपनिवेशों से अंतिम रुप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848ई. में किया गया।

दौर्ष उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (6).18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज की तीनों स्टेटस के बारे में लिखिये।

उत्तर. 18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेटस में बंटा था।

1. प्रथम एस्टेट 2 द्वितीय एस्टेट 1 तृतीय एस्टेट

प्रथम एस्टेट-इस एस्टेट में पादरी वर्ग आता था उन्हें कुछ विशेषाधिकार जन्मना प्राप्त थे। जैसे-राज्य को

दिये जाने वाले करों से छूट।

द्वितीय एस्टेट-इस एस्टेट में कुलीन वर्ग आता था। इस वर्ग के लोगों को भी राज्य को दिये जाने वाले

करों से छूट प्राप्त थी। साथ ही इन्हें कुछ अन्य सामंती विशेषाधिकार भी हासिल थे। वह किसानों से

सामंती कर वसूलता था।

तृतीय एस्टेट-इस एस्टेट में बड़े व्यावसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन

मजदूर और नौकर

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 प्रत्न (6).भारत में कितने प्रकार के वन पाये जाते है ? किन्ही दो का वर्णन करिए।

उत्तर, भारत में निम्न प्रकार के वन पाये जाते हैं -
ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन
2 ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन
ऊष्ण कटिबंधीय कटीले वन तथा झाड़ियों
4. पर्वतीय वन
5. मैग्रोव वन

ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन-
i. जिन प्रदेशों में वर्षा 200 से.मी. से अधिक होती है यहाँ ये वृक्ष पाये जाते हैं।
ii. ये वृक्ष 60 मीटर से ऊँचे होते है।
iii. ये वन परिचमी घाट, मेघालय तथा उत्तरी पूर्व भारत में पाये जाते हैं।

ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन-
1. जहाँ वर्षा 75 सेमी. से 200 से.मी. से अधिक होती है यहाँ ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन पाये
जाते हैं।
i. इन वनों को मानसूनी वन कहते हैं।
iii. ये वन पत्विमी बिहार, दक्षिण उत्तर प्रदेश, प. मध्यप्रदेश. पूर्वी महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक
में पाये जाते है।
iv. आर्थिक दृष्टि से ये महत्वपूर्ण होते हैं।

प्रश्न (7) भारत वन्य प्राणियों की दृष्टि से बनी है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर. हमारा देश विश्व के मुख्य 12 जैव-विविधता वाले देशों में से एक है।
1. भारत में लगभग 2000 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जो विश्य का 13 प्रतिशत है।
2 भारत में मछलियों की 2546 प्रजातियाँ है। जो वित्य का लगभग 12 प्रतिशत है।
3. यहाँ हाथी. एक सींग वाले गेंडे, जंगली गधे तथा ऊँट भारतीय भैसा, नील गाय एवं बंदरों की अनेक
प्रजातियाँ पाई जाती हैं। भारत विश्व का अकेला देश है जहाँ शेर तथा बाघ दोनों पाये जाते हैं।

भारत और समकालीन विश्व भाग-1

अध्याय 1
फ्रांसीसी क्रांति

निर्देश इस अध्याय से एक अतिलघुउत्तीय प्रल अंक का. एक लघुउत्तरीय प्रश्न 0 अंक का एवं एक
दीर्घउत्तरीय प्रल अंक का होगा।

अतिलघुउत्तरीय प्रश्न

प्रश्न (1).लुई 16ये के समय फ्रांस की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर लुई 16ये के समय फ्रांस की आर्थिक स्थिति दयनीय थी जिसके लिये सरकार की फिजूलखर्ची, राजा का
सरकारी व्यय पर विलासितापूर्ण जीवन एवं राज्य की कर व्यवस्था जिम्मेवार थी।

प्रश्न (2].1784ई. की फ्रांस की कांति का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर एस्टेटस जनरल (प्रतिनिधि सभा) का अधिवेशन तथा टेनिस कोर्ट की शपथ

प्रश्न (5) जेकोविन क्लब के सदस्य कौन थे?
उत्तर जेकोयिन क्लब के सदस्य मुख्यतः छोटे दुकानदार तथा कारीगर-जैसे-जूता चप्पल बनाने वाले. पेस्टी
बनाने वाले. घडीसाज, छपाई करने वाले और नौकर व दिहाड़ी मजदूर आदि थे जो समाज के कम समृद्ध
हिस्से से आते थे।

लघुउत्तरीय 

प्रश्न (1) फ्रांसीसी क्रांति में दार्शनिकों के योगदान को लिखें?
उत्तर फ्रांसीसी क्रांति में फ्रांस के दार्शनिकों का अहम योगदान है। जॉन लॉक और ज्यों जाक रुसों जैसे
दार्शनिकों ने स्वतंत्रता, समान नियमों तथा समान अवसरों के विचार पर आधारित समाज की परिकल्पना
की है। यह किसी व्यक्ति की सामाजिक हैसियत का आधार उसकी योग्यता को मानने पर बल देते थे।
लॉक में राजा के दैवीय और निरंकुश अधिकारों के सिद्धांत का खंडन किया था। रूसो ने इसी विचार को
आगे बढ़ाते हुए जनता और उसके प्रतिनिधियों के बीच एक सामाजिक अनुबंध पर आधारित सरकार का
प्रस्ताव रखा।
मॉन्टेस्क्यू ने दि स्पिरिट ऑफ द लॉज नामक रचना में सरकार के अंदर विधायिका, कार्यपालिका
और न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात की।
इनके विचारों ने फ्रांस के जनमानस को कांति के लिए प्रेरित किया।


प्रश्न (2) फ्रांसीसी समाज की महिलाओं का जीवन कैसा था?

उत्तर. फ्रांसीसी समाज में अहम परिवर्तन लाने वाली गतिविधियों में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण था। उन्होंने
अपने हितों की हिमायत करने फ्रांस के विभिन्न शहरों में लगभग 60 राजनीतिक क्लब शुरु किये थे. उनमें
द सोसायटी ऑफ रेबलूशनरी एंड रिपब्लिकन विमेन सबसे मशहूर क्लब था। उनकी एक प्रमुख मांग यह
थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए।
वहीं तीसरे एस्टेट की अधिकांश महिलाएं जीवन निर्वाह के लिए काम करती थीं ये सिलाई-बुनाई,
कपड़ों की धुलाई, फल-फूल सब्जीयों बेचना अथवा संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं। अधिकांश
महिलाओं के पास पढ़ाई लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के मौके नहीं थे। केवल कुलीनों की लड़कियों
अथवा तीसरे एस्टेट के धनी परिवारों की लड़कियों ही कॉन्चेंट में पढ़ पाती थीं। महिलाओं की मजदूरी
पुरुषों की तुलना में कम थी।

प्रश्न (5) नेपोलियन के उदय को कैसे समझा जा सकता है ?
उत्तर. नेपोलियन बोना पार्ट(1780ई. 1821ई) - नेपोलियन का जन्म 1700ई. में कोर्शिका द्वीप की राजधानी
अजासियो में हुआ था। नेपोलियन असाधारण प्रतिभा का स्वामी था। फ्रांस की डिरेक्ट्री (निर्देशिका) द्वारा
उसे फ्रांसीसी सेना का सेनापति नियुक्त किया गया था।
10 नवंबर 1798ई. का नेपोलियन ने डिरेक्ट्री को भंग करके फ्रांस की सत्ता अपने हाथों मेंले ली।
1800ई. में नेपोलियन ने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। उसने यूरोप के अनेक राज्यों को
जीत कर फ्रांस के साम्राज्य में मिला लिया।
नेपोलियन ने आस्ट्रिया (1805ई.) प्रशा (1806ई.) तथा रुस (1807ई) को पराजित करके फ्रांस की
शक्ति और प्रतिष्ठा को शिखर पर पहुंचा दिया था। वह इंग्लैंड को भी पराजित करना चाहता था परन्तु
1815ई. में वाटर लू के युद्ध में मित्र राष्ट्रों की सेना ने नेपोलियन को पराजित कर बन्दी बना लिया। सन्
1821ई. में सेंट हेलेना द्वीप पर बन्दी जीवनकाल में ही उसकी मृत्यु हो गयी।

प्रश्न (4) फ्रांस में दास प्रथा का उन्मूलन कैसे हुआ? समझाइए।

उत्तर. फ्रांसीसी उपनिवेशों में दास प्रथा का उन्मूलन जेकोबिन शासन के क्रांतिकारी विचारों में से एक था।
18वीं सदी में फ्रांस में दास प्रथा मुक्ति हेतु नेशनल असेम्बली में लम्बी बहस हुई परन्तु दास
व्यापार पर निर्भर व्यापारियों के विरोध के भय से नेशनल असेम्बली में कोई कानून पारित नहीं किया गया
1794ई. के कन्वेंशन ने फ्रांसीसी उपनिवेशों में सभी दासों की मुक्ति का कानून पारित कर दिया। परन्तु
यह कानून ज्यादा दिन लागू नहीं रह पाया, 10 वर्ष पश्चात् नेपोलियन ने दास प्रथा पुनः शुरु कर दी।
बामान मालिकों को अफ्रीकी नीग्रो लोगों को गुलाम बनाने की स्वतंत्रता मिल गयी।
अततः फ्रांसीसी उपनिवेशों से अंतिम रुप से दास प्रथा का उन्मूलन 1848ई. में किया गया।

प्रश्न

प्रश्न (6).18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज की तीनों स्टेटस के बारे में लिखिये।
उत्तर. 18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेटस में बंटा था।
1. प्रथम एस्टेट 2 द्वितीय एस्टेट 1 तृतीय एस्टेट
प्रथम एस्टेट-इस एस्टेट में पादरी वर्ग आता था उन्हें कुछ विशेषाधिकार जन्मना प्राप्त थे। जैसे-राज्य को
दिये जाने वाले करों से छूट।
द्वितीय एस्टेट-इस एस्टेट में कुलीन वर्ग आता था। इस वर्ग के लोगों को भी राज्य को दिये जाने वाले
करों से छूट प्राप्त थी। साथ ही इन्हें कुछ अन्य सामंती विशेषाधिकार भी हासिल थे। वह किसानों से
सामंती कर वसूलता था।
तृतीय एस्टेट-इस एस्टेट में बड़े व्यावसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन
मजदूर और नौकर आदि सम्मिलित थे। राज्य के वित्तीय काम काज का सारा बोझ करों के माध्यम से यही
वर्ग अर्थात जनसाधारण वहन करता था।

प्रश्न (2) फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर फ्रांस में क्रांतिकारी विरोध की शुरुआत निम्नलिखित परिस्थितियों में हुई-
1. सामाषिक परिस्थितियाँ-कास का सामंतवादी समाज तीन वर्गों -प्रथम वर्ग, द्वितीय वर्ग एवं तृतीय वर्ग
विभक्त था। प्रथम एस्टेट के पादरी एवं द्वितीय एस्टेट के कुलीन वर्ग को कर देने से सरकारी छूट
प्राप्त थी। कर का संपूर्ण बोझ तृतीय एस्टेट अर्थात् व्यापारी, वकील, किसान कारीगर, भूमिहीन मजदूर
एवं नौकर आदि पर था। जिससे तृतीय एस्टेट में असंतोष की भावना व्याप्त थी।
2. चार्थिक परिस्थितिया-फ्रांस का शासक लुई xvi 174ई. को फ्रांस का शासक बना सत्तारुढ होने पर
उसे शाही खजाना खाली मिला। सेना का रखरखाव दरबार का खर्च एवं अन्य खर्च चलाने हेतु लुई
xvi कर बढ़ाने के लिए बाध्य हुआ। लुई x कर बढ़ाने के लिए एस्टेट्स जनरल की सभा बुलाई
जिसमें प्रत्येक एस्टेट को एक मत देने की अनुमति दी तृतीय एस्टेट ने इस प्रस्ताव का विरोध करते

हुए प्रत्येक सदस्य को वोट देने की मांग की जिसे सम्राट ने ठुकरा दिया तब तृतीय एस्टेट के
प्रतिनिधियों ने सभा का बहिष्कार कर दिया।
राज्य में खाद्यान की पूर्ति न हो पाना, पाव रोटी की बढ़ती कीमतें एवं अपर्याप्त मजदूरी के
कारण भी फ्रांस में कांतिकारी विरोध बढ़ा।
3. दार्शनिकों का योगदान:-फ्रांसीसी क्रांति में फ्रांस के दार्शनिकों जॉन लॉक, रुसो. मॉन्टेस्क्यू आदि का
अहम योगदान है। इन्होंने स्वतंत्रता समान नियमों तथा समान अवसरों के विचार पर आधारित समाज
की परिकल्पना की है। इनके विचारों ने फ्रांस के जनमानस को कांति के लिए प्रेरित किया।
4. राजनैतिक कारण:-तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधियों ने मिराब्यों और आबे सिए के नेतृत्व में स्वंय को
राष्ट्रीय सभा घोषित कर दिया। उन्होंने बर्साय के टेनिस कोर्ट में सम्राट की शक्ति कम करने वाला
संविधान बनाने की शपथ ली इसी बीच राज्य में खाद्यान संकट गहरा गया जिससे जनसाधारण का
गुस्सा गलियों में फूट पड़ा। सम्राट ने सेना को पेरिस में प्रवेश का आदेश दिया तब गुस्साई भीड़ ने
बास्तील दुर्ग(जेल) पर धावा बोल कर उसे नष्ट कर दिया।
इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति प्रारंभ हुई।

प्रश्न (3).फ्रांस के नक्शे में उन क्षेत्रों को दर्शाईये जहाँ क्रांति का स्वरुप भयावह था।
उत्तर फ्रांस के मानचित्र में उन क्षेत्रों को निम्न चिन्ह (+) द्वारा दर्शाया गया है। जहाँ कांति का स्वरुप
भयावह था साथ ही 1789 की शुरुआत में विद्रोह वाले क्षेत्र भी दर्शाये गये है।


प्रश्न 4 फ्रांसीसी क्रान्ति के परिणाम लिखिए-
उत्तर-
1. सामंतवाद का अंत
2 शासन व्यवस्था में सुधार
3. निरंकुश राजतंत्र की समाप्ति
4. समानता के विचारों का प्रचार-प्रसार
5. फ्रांस का एक राष्ट्र के रूप में उदय
6. मताधिकार का विस्तार
(उपरोक्त बिन्दुओं का वर्णन करने पर 5 अंक दिये जायें)
27
प्रश्न 5 फ्रांसीसी क्रान्ति के राजनैतिक कारण लिखिये-
उत्तर
1 राजा की निरंकुशता
2 राष्ट्रीय सभा के अधिवेशन को न बुलाना
3 राज्य कर्मचारियों की निरंकुशता
4. सेना में असंतोष
5. अव्यवस्थित शासन व्यवस्था
(उपरोक्त बिन्दुओं का वर्णन करने पर 5 अंक दिये जायें)

प्रश्न 6 ओलम्प डे गूंज द्वारा तैयार घोषणा पत्र में उल्लेखित मूलभूत अधिकार क्या थे?
1. महिला को पुरुष के समान अधिकार प्राप्त हैं।
2 सभी राजनैतिक संगठनो का लक्ष्य महिला पुरुष के नैसर्गिक अधिकार को संरक्षित करना है।
3 कानून सभी महिला पुरुष के लिए समान है। सभी अपनी योग्यतानुसार सम्मान एवं पद के हकदार है।
4. कोई महिला अपवाद नहीं है। वह अपराधी भी हो सकती है। गिरफ्तार, नजरबंद भी हो सकती है।
5. सभी महिला पुरूष व्यक्तिगत एवं प्रतिनिधियों के माध्यम से विधि निर्माण में सहयोग तथा हस्तक्षेप कर
सकते हैं।


अध्याय 2
यूरोप में समाजवाद व रुसी कांति

निर्देशः इस अध्याय से एक लघुउत्तरीय प्रश्न 03 अंक का एवं एक दीर्घउत्तरीय प्रश्न 05 अंक का होगा।
लघुत्तरीय प्रश्न-(प्रत्येक के लिये 03 अंक)

प्रश्न (1) कुलक शब्द को परिभाषित कीजिए।

उत्तर. कुलक-रुस में संपन्न किसानों को कुलक कहा जाता था। 1927-28 के आसापास रुस के शहरों में अनाज
का भारी संकट पैदा हो गया था। स्टालिन का विश्वास था कि कुलक वर्ग अनाज इकट्ठा कर रहा है और
यह वर्ग गरीब किसानों का वर्ग शत्रु है। अतः 1928 में स्टालिन की पार्टी के सदस्यों ने कुलको के ठिकानों
पर छापे मारे एवं जबरन अनाज खरीदा। जब इसके बाद भी अनाज की कमी बनी रही तो स्टालिन
ने कुलकों का सफाया करने के उद्देश्य से खेतों के सामूहिकीकरण करने का फैसला किया और
सरकार द्वारा नियंत्रित बड़े खेतों की स्थापना की गई।

प्रश्न (2) रुसी कांति से प्रेरित होने वाले भारतीयों के बारे में लिखिए।

उत्तर. रुसी कांति से प्रेरित होने वालों में बहुत सारे भारतीय भी थे। कई भारतीयों ने रुस के कम्युनिष्ट
विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। कई महत्वपूर्ण भारतीय राजनयिक एवं सांस्कृतिक व्यक्तियों जैसे
जवाहरलाल नेहरु, रविन्द्रनाथ टैगोर आदि ने सोवियत प्रयोग में दिलचस्पी ली और वहाँ का दौरा किया।
उन्होंने सोवियत समाजवाद के बारे में लिखा भी।
आर.आर. अवस्थी ने भी रुसी कांति से प्रभावित होकर 1920-21 में रशियन रेवल्यूशन, लेनिन हिज
लाइफ एण्ड हिज थॉट्स आदि किताबें लिखी। उनके अलावा एस.डी. विधालंकार, शौकत उस्मानी ने भी
रुस के विषय में लिखा है।

प्रश्न (3).1900 से 1930 के बीच महिला कामगार की स्थिति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर. महिला मजदूरों ने रुस के भविष्य निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला कामगार सन् 1914 तक
कुल कारखाना शक्ति का 31 प्रतिशत भाग बन चुकी थी किन्तु उन्हें परुषों की अपेक्षा कम मजदूरी
(वेतन) दी जाती थी। महिला कामगारों को कारखानों में काम के अतिरिक्त परिवार एवं बच्चों की देखभाल
भी करनी पड़ती थी। वे देश के सभी मामलों में सक्रिय थी।
माफा वासीलेवा, जो मिलिंग मशीन ऑपरेटर थी ने लगभग अकेले ही एक सफल हड़ताल को
अंजाम दिया था। माफां के समर्थन में न केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों ने भी औजार जमीन पर डाल दिये
थे।

प्रश्न (4).स्टालिन के सामूहिक कार्यक्रम को समझाइएं।

उत्तर 1927-28 के आस-पास रुस के शहरों में अनाज का भारी संकट पैदा हो गया। अनाज की कमी को
देखते हुए स्टालिन ने छोटे-छोटे खेतों के सामूहिकीकरण की प्रकिया शुरु की. क्योंकि उनका यह मानना
था कि छोटे-छोटे टुकड़े आधुनिकीकरण में बाधा डालते हैं। इसलिए छोटे-छोटे किसानों से उनकी जमीन
छीनकर राज्य के नियंत्रण में विशाल जमीन का टुकड़ा बनाया जाना आवश्यक है। इसके लिये राज्य ने
किसानों को मजबूर किया कि वे सामूहिक खेती करें।
सामूहिक खेती के लिये बड़ी भूमि अर्जित करना ही स्टालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम कहलाता है।

दीर्घउत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक के लिये 06 अंक)

प्रश्न (1)1917ई. में जार का शासन क्यों खत्म हो गया ?
उत्तर. जार की नीतियों से जनता में बढ़ते अविश्वास व विद्रोह स्वरुप 1917ई. में जार के शासन का अंत हो गया
उसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे-
1. जार निकोलस द्वितीय द्वारा अपनी सत्ता के विरुद्ध उठे सवालों को नियत्रित करने राजनैतिक
गतिविधियों पर रोक लगा दी गई व मतदान के नियम बदल डाले। इससे लोगों में असंतोष पैदा
होने लगा।
ii. प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ में रुसी जनता जार के साथ थी परन्तु जार द्वारा ड्यूमा के प्रमुख
दलों से सलाह लेने के इंकार के कारण उसने रुसी जनता का समर्थन खो दिया।
iii. जार निकोलस की पत्नी महारानी जरीना के जर्मन मूल का होने और उसके रासपुतिन जैसे
सलाहकारों ने राजशाही को अलोकप्रिय बना दिया।
iv. प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी व आस्ट्रिया से पराजित हो पीछे हटती रुसी सेनाओं ने फसलों व
इमारतों को नष्ट कर दिया इससे ब्रेड रोटी और आटे की किल्लत हो गई ब्रेड रोटी की दुकानों
पर दंगे होने लगे। इस कारण ने भी जार शासन को अलोकप्रिय बना दिया।
V. जार द्वारा 25 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बर्खास्त करने के फैसले से असंख्य लोग जार के
खिलाफ खड़े हो गए तब 2 मार्च को जार गद्दी छोड़ने को मजबूर हो गया। और इससे
निरंकुशता का अंत हो गया।

प्रश्न (2) रुस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर. रुस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले जनसाधारण के लिये बुरे थे।
1905 ई. से पहले रुस के ग्रामीण क्षेत्रों में समाज मजदूरों, अभिजात वर्ग और चर्च के बीच बंटा
हुआ था। अभिजात वर्ग व चर्च के सदस्यों के बीच विशाल भूमि खण्ड थे। शहरों में समाज मालिकों और
नौकरों में विभाजित था। श्रमिक अपने कौशल के अनुसार समूहों में बंटे हुए थे।
रुसी साम्राज्य की लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या आजीविका के लिये खेती पर निर्भर थी। शहरों
में कारखानों के मजदूरों को कम मजदूरी दी जाती थी जो सामाजिक जीवन निर्वाह हेतु पर्याप्त नहीं थी।
कारखानों से प्राप्त लाभ पूर्ण रुपेण मालिकों की संपत्ति होता था।
मजदूरों, भूमिहीन, कृषकों व महिलाओं को रुस के शासन में भाग लेने को कोई अधिकार नहीं
था। अर्थात् रुस एक निरंकुश राजशाही था।

प्रश्न (3). बोल्सेविको ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से परिवर्तन किये?
उत्तर. बोल्सेविको ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद रुस में निम्नलिखित परिवर्तन किये-
ज्यादातर उद्यागों और बैंकों का नवंबर 1917 में राष्ट्रीयकरण करके उनका स्वामित्व व प्रबंधन सरकार
ने अपने नियंत्रण में ले लिया।
2 जमीन को सार्वजनिक संपत्ति घोषित कर दिया गया।
3. किसानों को सामंतों की जमीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गई।
शहरों में बड़ें मकान मालिकों के मकानों में से कुछ हिस्सा उन्हें छोड़कर बाकी हिस्सा बेघर व
जरुरतमंदो को रहने दे दिया गया।
5. पुरानी पदवियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई।
6. बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर रुसी कम्युनिष्ट पार्टी रख दिया गया।



अध्याय 3
नात्सीवाद और हिटलर का उदय

निर्देशः इस अध्याय से एक अतिलघुउत्तरीय प्रश्न 02 अंक का एवं एक लघुउत्तरीय प्रश्न 04 अंक का होगा।
अतिलघुउत्तरीय प्रश्न - प्रत्येक के लिये 02 अंक)
प्रश्न (1) मित्र राष्ट्रों में शामिल देशों के नाम लिखए।
उत्तर. फ्रांस, ब्रिटेन, सोवियत संघ एवं अमेरिका

प्रश्न (2)धुरी राष्ट्रों में शामिल देशों के नाम लिखए।
उत्तर. जर्मनी, इटली और जापान

प्रश्न (3). तत्कालीन समय में सूदखोर शब्द का प्रयोग किसके लिये किया जाता था?
उत्तर. सूदखोर-बहुत ज्यादा ब्याज वसूल करने वाले महाजन के लिये।
29
प्रश्न (4), नाजीवादी विचारधारा क्या थी? समझाइए।
उत्तर. नाजीवाद -यह जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की विचारधारा थी। कट्टर जर्मन राष्ट्रवाद, देशप्रेम,
विदेशी विरोधी, आर्य और जर्मन हित इस विचारधारा के मूल अंग थे।
नाजीवादी विचारधारा मार्क्सवाद लोकतंत्र औद्योगिकीकरण आदि का पूरी तरह विरोध करती थीं। यह
विचारधारा तानाशाही में विश्वास करती थी।


दीर्घउत्तरीय प्रश्न - प्रत्येक के लिये 04 अंक)
प्रश्न (1) न्यूरेमबर्ग नागरिकता अधिकार (सितंबर 1935) क्या था? समझाइए।
उत्तर. न्यूरेमबर्ग नागरिकता अधिकार (सितंबर 1935) के अनुसार -
1. जर्मन या उससे संबंधित रक्त वाले व्यक्ति ही जर्मन नागरिक होंगे और उन्हें जर्मन साम्राज्य का
संरक्षण मिलेगा।
2. यहूदियों और जर्मनों के बीच विवाह पर पाबंदी।
3. यहूदियों और जर्मनों के बीच विवाहेत्तर संबंधों को अपराध घोषित कर दिया गया।
4. यहूदियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर पाबंदी लगा दी गई।

प्रश्न (2) नात्सी जर्मनी में महिलाओं विशेषकर माताओं की स्थिति पर प्रकाश डालिये।
उत्तर नात्सी जर्मनी में महिलाओं विशेषकर माताओं की स्थिति में भिन्नता थी। नस्ली तौर पर वांछित दिखने
वाले बच्चे को जन्म देने वाली माताओं को इनाम दिए जाते थे। उन्हें अस्पतालों में विशेष सुविधाएँ. दुकानों
में ज्यादा छूट और थियेटर व रेलगाड़ी के टिकट सस्ते में मिलते थे। ज्यादा से ज्यादा बच्चे देने वाली
माताओं को कांसा/चांदी/सोने का तमगा दिया जाता था।
वहीं जो औरतें नस्ली तौर पर अवांछित बच्चों को जन्म देती थीं उन्हें दण्डित किया जाता था।
उनकी सार्वजनिक निंदा की जाती थी।

प्रश्न (3) कल्पना कीजिए कि आप नात्सी जर्मनी के स्कूली बच्चे है ऐसे में जर्मनी के इतिहास पर एक संक्षिप्त लेख
लिखिए।
उत्तर. नात्सी जर्मनी के स्कूली बच्चे की नजर से-हमें तीन वर्ष की आयु में ही देशभक्ति दिखाने एक छोटा झंडा
थमा दिया जाता था। इसे 10 वर्ष की आयु तक नात्सी विचारधारा का शुरुआती प्रशिक्षण दिया जाता था।
बच्चों को सिखाया जाता था कि वे वफादार व आज्ञाकारी बर्न, यहूदियों से नफरत और हिटलर
की पूजा करें। खेलकूद के जरिए भी बच्चों में हिंसा और आक्रामकता की भावना पैदा की जाती थी।
हिटलर का मानना था कि मुक्केबाजी का प्रशिक्षण बच्चों को फौलादी दिल बाला, ताकतवर और मर्दाना
बना सकता है।
जर्मन बच्चों और युवाओं को राष्ट्रीय समाजवाद की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी
युगफोक' व अन्य युवा संगठनो को सौंपी गई। 14 वर्ष की उम्र में हिटलर-यूथ नामक युवा संगठन की
सदस्यता लेनी पड़ती थी।

प्रश्न (4) नात्सी सोच के खास पहलू क्या थे?
उत्तर. नात्सी सोच के खास पहलू निम्न लिखित थे-
1. नस्ली श्रेष्ठता की भावना
2. यहूदियों का विरोध
3. लेबेन्स्त्राम या जीवन परिधि की भू-राजनीतिक अवधारणा-हिटलर अपने लोगों को बसाने के लिए
ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करने को जरुरी मानता था।
4. यूटोपिया(नस्ली कल्पना लोक)-नात्सी विचारधारा में आदर्श विश्व के निर्माण की कल्पना की गई थी।
जो यहूदियों से पूर्णतः मुक्त हो, केवल जर्मन आर्य मूल के लोग रहते हों।
5. युद्धों का समर्थन
साम्यवाद और लोकतंत्र का विरोध।

प्रश्न (5) वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्या थी?
प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय और सम्राट के पद त्याग के बाद बाइमर में राष्ट्रीय सभा की बैठक
बुलाई गई और लोकतांत्रिक संविधान पारित किया गया। लेकिन यह नया वाइमर गणराज्य जर्मनी के
अधिकांश लोगों को रास नहीं आया। अतः वाइमर गणराज्य की मुख्य समस्याएं निम्न प्रकार थीं -
प्रथम विश्व युद्ध के उपरांत जर्मनी पर थोपी गई वर्साय की कठोर एवं अपमानजनक संधि के लिए
अधिकांश जर्मनवासी वाइमर गणराज्य को ही जिम्मेदार मानते थे।
2 रुसी कांति की सफलता से जर्मनी के कुछ भागों मे साम्यवादी प्रभाव तेजी से बढ़ा।
3. युद्ध अपराधी के रुप में जर्मनी पर 6 अरब पाउंड का जुर्माना लगाया गया जिसे चुकाने में वाइमर
गणराज्य असमर्थ था।
4. जर्मनी द्वारा हर्जाना चुकाने से इंकार करने पर फ्रांस ने जर्मनी के औद्योगिक क्षेत्र रुर पर कब्जा कर
लिया जिसके कारण वाइमर गणराज्य की प्रतिष्ठा को बहुत ठेस पहुंची।

5.
1929 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी से बढ़ी मंहगाई को नियंत्रित करने में वाइमर गणराज्य असफल

प्रश्न (6) नात्सियों ने जनता पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिये कौन-कौन से तरीके अपनाएँ ?
उत्तर सन् 1933 में जर्मनी का चांसलर बनने के बाद हिटलर ने राज्य एवं जनता पर नात्सियों के माध्यम से पूर्ण
नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए-
1. विशेषाधिकार अधिनियम, मार्च 1933 द्वारा संसद के समस्त अधिकार हिटलर को देकर राज्य में
तानाशाही स्थापित कर दी गई।
2 नात्सी पार्टी और उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक पार्टियों और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी
लगा दी गई।
3. अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना और न्यायपालिका पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया।
4. पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रण और व्यवस्थित करने के लिए विशेष निगरानी और
सुरक्षा दस्ते गठित किए गए।




लोक तांत्रिक राजनीति
अध्याय 1

लोकतंत्र क्या ? लोकतंत्र क्यों?



अतिलघुत्तरीय प्रश्न प्रत्येक के लिये 2 अंक)

प्रश्न (1) लोकतंत्र की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर लोकतंत्र की दो विशेषताएं निम्नानुसार हैं।
1. लोगों द्वारा चुने गये शासक ही सारे प्रमुख फैसले करते है।
2 चुनाव लोगों के लिये निष्पक्ष अवसर और विकल्प उपलब्ध कराता है कि वे चाहें तो मौजूदा शासकों
को बदल सकते हैं।

प्रश्न (2) लोकतंत्र तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए?
उत्तर 1. चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष ढंग से कराये जाने चाहिए। जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से व्यक्ति का
चुनाव कर सकें।

2 चुनाव नियमित अंतराल पर अर्थात् नये चुनाव कुछ वर्षों में जरुर कराये जाने चाहिए।
प्रश्न (3) प्रतिनिधिक लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर प्रतिनिधिक लोकतंत्र - यह लोकतंत्र का सबसे आम रुप है जिसमें सभी लोग शासन नहीं करते हैं बल्कि
लोगों द्वारा 


प्रश्न (6) नात्सियों ने जनता पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिये कौन-कौन से तरीके अपनाएँ ?
उत्तर सन् 1933 में जर्मनी का चांसलर बनने के बाद हिटलर ने राज्य एवं जनता पर नात्सियों के माध्यम से पूर्ण
नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए-
1. विशेषाधिकार अधिनियम, मार्च 1933 द्वारा संसद के समस्त अधिकार हिटलर को देकर राज्य में
तानाशाही स्थापित कर दी गई।
2 नात्सी पार्टी और उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक पार्टियों और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी
लगा दी गई।
3. अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना और न्यायपालिका पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया।
4. पूरे समाज को नात्सियों के हिसाब से नियंत्रण और व्यवस्थित करने के लिए विशेष निगरानी और
सुरक्षा दस्ते गठित किए गए।

लोक तांत्रिक राजनीति
अध्याय 1
लोकतंत्र क्या ? लोकतंत्र क्यों?
निर्देशः इस अध्याय से एक अति लघुउत्तरीय प्रश्न ० अंक का. एक लघुउत्तरीय प्रश्न 00 अंक का एवं एक
अतिलघुत्तरीय प्रश्न प्रत्येक के लिये 2 अंक)

प्रश्न (1) लोकतंत्र की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर लोकतंत्र की दो विशेषताएं निम्नानुसार हैं।
1. लोगों द्वारा चुने गये शासक ही सारे प्रमुख फैसले करते है।
2 चुनाव लोगों के लिये निष्पक्ष अवसर और विकल्प उपलब्ध कराता है कि वे चाहें तो मौजूदा शासकों
को बदल सकते हैं।

प्रश्न (2) लोकतंत्र तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के बीच संबंध स्पष्ट कीजिए?
उत्तर 1. चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष ढंग से कराये जाने चाहिए। जिससे लोग सचमुच अपनी इच्छा से व्यक्ति का
चुनाव कर सकें।
2 चुनाव नियमित अंतराल पर अर्थात् नये चुनाव कुछ वर्षों में जरुर कराये जाने चाहिए।

प्रश्न (3) प्रतिनिधिक लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर प्रतिनिधिक लोकतंत्र - यह लोकतंत्र का सबसे आम रुप है जिसमें सभी लोग शासन नहीं करते हैं बल्कि
लोगों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन चलाते हैं।

प्रश्न (4) चीन एक साम्यवादी देश है। जहाँ प्रत्येक पाँच वर्षों के अंतराल में चुनाव होते हैं फिर भी उसे एक
लोकतांत्रिक देश नहीं कहा जा सकता। कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर. 1. चीन की संसद के लिये प्रति पाँच वर्ष बाद नियमित रुप से चुनाव होते हैं परन्तु इसमें जनता को कोई
अर्थपूर्ण विकल्प उपलब्ध नहीं कराया जाता है।
2. चुनाव लड़ने से पूर्व सभी उम्मीदवारों को चीन की कम्युनिष्ट पार्टी से मंजूरी लेनी पड़ती है।

प्रश्न (5) लोकतंत्र का अर्थ सरल शब्दों में लिखिए।
उत्तर. लोकतंत्र शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते हैं।

दीर्घउत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न (1) भारत में लोकतंत्र के खिलाफ अपने तर्क लिखिए।
उत्तर आमतौर पर भारत में लोकतंत्र के खिलाफ निम्न तर्क कुछ इस प्रकार है -
1. लोकतंत्र में नेता बदलते रहते है। इससे अस्थिरता पैदा होती है।
2. लोकतंत्र में लड़ाई महत्वपूर्ण और खर्चीली होती है इसलिये इसमें भ्रष्टाचार होता है।
3. लोकतांत्रिक व्यवस्था में इतने सारे लोगों से बहस और चर्चा करनी पड़ती है कि हर फैसले में देरी
होती है।
4. लोकतंत्र का मतलब सिर्फ राजनैतिक लडाई और सत्ता का खेल है। यहाँ नैतिकता का कोई स्थान
नहीं होता।



प्रश्न (2) लोकतांत्रिक एवं गैर लोकतांत्रिक शासन की तुलना कीजिए।
उत्तर
लोकतांत्रिक शासन   गैर लोकतांत्रिक शासन
1 इसमें लोगों को राजनैतिक अधिकार प्राप्त होते है।  (अ) लोगों के पास सीमित अधिकार होते है।
2 इसमें लोग सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के आधार  ब) सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार इन लोगों
पर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेते है।                               के लिये एक सपना है।
3 लोक तांत्रिक फैसले में सदैव ज्यादा लोग प्रत्यक्ष  स) लोग किसी प्रकार के फैसले में भाग
और अप्रत्यक्ष रुप से शामिल होत है                    नहीं लेते हैं। उन्हें सरकार के फैसले के
संदर्भ में कोई हक नहीं है।
4 लोग किसी शासक की प्रजा न होकर खुद अपने  (द) इसमें लागों को हमेशा प्रजा ही समझा जाता
शासक हैं।                                                             है न तो शासक और न ही सम्मानजनक प्रजा।



प्रश्न (9) लोकतंत्र ही क्यों ? अपने तर्को द्वारा विवेचना कीजिए।

उत्तर. लोकतंत्र के पक्ष में निम्नलिखि तर्क यह स्पष्ट करते हैं कि लोकतंत्र सरकार का सबसे उत्तम रुप क्यों है-
लोकतंत्र सरकार का एक ऐसा स्वरुप है जिसमें जनता द्वारा सरकार को चुना जाता है।
2. लोकतंत्र स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर आधारित होता है जिसमें सत्ता पक्ष के हाथ से भी सत्ता
खिसकने की संभावना बनी रहती है।
3. लोकतंत्र को सर्वश्रेष्ठ सरकार कहा गया है, क्योंकि इसमें यह जरूरी है कि शासन करने वाले आम
लोगों की जरूरतों पर ध्यान दें।
4. लोकतंत्र बेहतर निर्णय लेने की संभावना बढ़ाता है ऐसा इसलिये होता है क्योंकि लोकतंत्र में निर्णय
लेने का अधिकार व्यापक चर्चा और बहसे होती है।

प्रश्न (4) एक देश के बारे में निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करें और फैसला करें कि आप इसे लोकतंत्र कहेंगे या
नही? अपने फैसले के पीछे के तर्क बताएं।

(क) देश के सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार है और चुनाव नियमित रूप से होते हैं।
(ख) लोक सात से ज्यादा भाषाएँ बोलते है। पर शिक्षा का माध्यम सिर्फ एक भाषा है, जिसे देश के 52
प्रतिशत लोग बोलते है।
(ग) सरकारी नीतियों का विरोध करने के लिये अनेक संगठनों ने संयुक्त रुप से प्रदर्शन करने और देशभर
में हड़ताल करने का आहवान किया है। सरकार ने उनके नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
(घ) देश के रेडियों और टेलीविजन चैनल सरकारी है. सरकारी नीतियों और विरोध के बारे में खबर छापने
के लिये अखबारों को सरकार से अनुमति लेनी हाती है।
उत्तर. -(क) ऐसा देश लोकतांत्रिक है क्योंकि देश के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार और नियमित
रुप से चुनाव कराये जाते है।
(ख) राष्ट्रभाषा एक भाषा हो सकती है क्योंकि ऐसी चीज व्यापक स्तर पर राष्ट्रीय एकता लाती है किन्तु
अन्य भाषाओं को भी उनके संबंधित क्षेत्र में प्रोत्साहित करना चाहिए। मेरा विचार है कि यह देश
अलोकतांत्रिक नहीं है।
(ग) किसी देश के संगठनों व विपक्षी दलों को सरकार की गलत नीतियों का विरोध करने का अधिकार है।
यदि यह प्रदर्शन अहिंसक व शांतिपूर्ण है तो इन संगठनों के नेताओं को गिरफ्तार किया जाना
अलोकतांत्रिक है।
(घ) प्रेस व संचार माध्यमों पर प्रतिबंध लगाना और इन्हें सरकारी भोंपू बनाना अलोकतांत्रिक है। यह देश
लोकतांत्रिक देश नहीं है।
प्रश्न (5) यहाँ चार देशों के बारे में कुछ सूचनाएँ हैं। इन सूचनाओं के आधार पर आप इन देशों का वर्गीकरण किस
तरह करेंगे? इनके सामने लोकतांत्रिक, अलोकतांत्रिक और पक्का नहीं लिखें।
देश (क) : जो लोग देश के अधिकारिक धर्म को नहीं मानते उन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है।
देश (ख) : एक ही पार्टी बीते बीस वर्षों से चुनाव जीतती आ रही है।
देश (ग) : पिछले तीन चुनावों में शासक दल को पराजय का मुँह देखना पड़ा।
देश (घ) : यहाँ स्वतंत्र चुनाव आयोग नहीं है।
उत्तर
देश
सूचना
वगीकरण
जो लोग देश के अधिकारिक धर्म को नहीं मानते उन्हें वोट अलोकतांत्रिक
डालने का अधिकार नहीं है।
एक ही पाटी बीते बीस वर्षा से चुनाव जीतती आ रही है।
पक्का नहीं
ग पिछले तीन चुनावों में शासक दल को पराजय का मुंह देखना लोकतांत्रिक
पड़ा।
यहाँ स्वतंत्र चुनाव आयोग नहीं है।
अलोकतांत्रिक

प्रश्न 6. लोकतंत्र की विशेषताएं लिखिये-
उत्तर- लोकतंत्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. लोकतंत्र में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति लोगो द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों के पास ही होनी चाहिए।
2. लोकतंत्र निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों पर आधारित होना चाहिए ताकि सत्ता में बैठे लोगों के लिए जीत हार
के समान अवसर हों।
3. लोकतंत्र में हर व्यस्क नागरिक का एक बोट होना चाहिए और हर बोट का एक समान मूल्य होना चाहिए।
4. लोकतंत्र में सरकार संवैधानिक कानूनों और नागरिक अधिकारों द्वारा खीची लक्ष्मण रेखाओं के भीतर ही
काम करती है।

अध्याय 2
संविधान निर्माण

निर्देशः इस अध्याय से एक अति लघुउत्तरीय प्रश्न 02 अंक का होगा।
अति लघुत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक के लिये 2 अंक)
प्रश्न (1).किस पार्टी ने दक्षिण अफ्रीका में आजादी की लड़ाई लड़ी?

उत्तर. अफ्रीकी नेशनल काँग्रेस एवं मजदूर संगठन और कम्युनिष्ट पार्टी ने मिलकर रंगभेद समाप्त करने के लिये
आजादी की लड़ाई लड़ी।
प्रश्न (2).संविधान से क्या आशय है?
उत्तर. संविधान लिखित नियमों की एक ऐसी किताब है जिसे किसी देश में रहने वाले सभी लोग सामूहिक रूप से
मानते हैं। संविधान सर्वोच्च कानून है।
प्रश्न (3) भारतीय संविधान कब लागू हुआ? और उसमें कितने अनुच्छेद थे?
उत्तर. भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और उसमें 465 अनुच्छेद थे।
प्रश्न (4) नेल्सन मंडेला को कब गिरफ्तार किया गया? और किस जेल एवं द्वीप में रखा गया?
उत्तर, नेल्सन मंडेला को 1964 में गिरफ्तार किया गया। भयावह जेल एवं रोब्धेन द्वीप में कैद रखा गया।
प्रश्न (5).दक्षिण अफ्रीका में गुलामों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था?
उत्तर. दक्षिण अफ्रीका में हथियारों और जोर जबरजस्ती गुलाम बनाया जाता जैसे-भारत स्थानीय गोरे शासक
गुलामों को छोटा और नीचा मानते थे इन्हें वोट डालने का अधिकार भी नहीं था।

अध्याय
चुनावी राजनीति

निर्देशः इस अध्याय से एक लघुउत्तरीय प्रश्न 04 अंक का होगा।
लघुउत्तरीय प्रश्न के उत्तर दीजिए (प्रत्येक के लिये 4 अंक)-
प्रश्न (1).प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव में खड़े होने के लिये किन-किन चीजों का विवरण देना पड़ता है ?
उत्तर, चुनाव में खड़े होने के लिये सर्वप्रथम नामांकन पत्र भरना पड़ता है और कुछ रकम जमानत के तौर पर
जमा करनी पड़ती है। कुछ ब्यौरे देते हुए वैधानिक घोषणा करनी पड़ती है।
1. उम्मीदवार के खिलाफ चल रहे गंभीर आपराधिक मामले।
2. उम्मीदवार और उसके परिवार के सदस्यों की संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा।
उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता।

प्रश्न (2).राष्ट्रीय मतदाता दिवस कब मनाया जाता है? "राष्ट्रीय मतदाता दिवस की प्रतिज्ञा" लिखिए।
उत्तर. राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी को मनाया जाता है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस की प्रतिज्ञा इस प्रकार है-हम, भारत के नागरिक, लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था
रखते हुए यह शपथ लेते हैं कि हम अपने देश की लोकतांत्रिक परंपराओं की मर्यादा को बनाए रखेंगे तथा
स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं शांतिपूर्ण निर्वाचन की गरिमा को अक्षुण्ण रखते हुए, निर्भीक होकर धर्म, वर्ग, जाति,
समुदाय, भाषा अथवा अन्य किसी भी प्रलोभन से प्रभावित हुए बिना सभी निर्वाचन में अपने मताधिकार का
प्रयोग करेंगे।

प्रश्न (3).चुनावों की जरुरत क्यों ? वर्णन कीजिए।

उत्तर. भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहाँ प्रत्येक 05 वर्ष में चुनाव होते हैं। चुनाव की आवश्कयता महत्वपूर्ण होती
है क्योंकि राज्य एवं केन्द्र स्तर पर सरकारों का गठन होता है। इसलिये विभिन्न दलीय आधार पर चुनाय
संपन्न होता है जो लोकतंत्र में अपने नागरिको को मत देने के लिये प्रेरित करता है। अपन वोट देकर
मतदाता चुनावों में भागीदारी करता है चुनाय पश्चात् ही विधान सभा एवं लोक सभा में सरकार का गठन
किया जाता है। अतः लोकतांत्रिक तरीकों से देश का संचालन करने में चुनावों की जरुरत होती है।

प्रश्न (4).चुनाव आयोग किसे कहते हैं ? भारत के चुनाव आयोग के अधिकार लिखिए।
उत्तर भारत में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिये एक आयोग का गठन किया जाता है चुनाव आयोग कहलाता
है। चुनाव निष्पक्ष कराने के लिये आयोग की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है। भारत में चुनाव आयोग के अधिकार निम्न हैं-
1. चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी नतीजों की घोषणा तक पूरी चुनाव
प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू पर निर्णय लेता है।
2. यह आदर्श चुनाव संहिता लागू करता है और इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और पार्टीयों को
सजा देता है।
3. चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग सरकार को दिशा निर्देश मानने का आदेश दे सकता है। इसमें
सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिये चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों
का तबादला करना भी शामिल है।
4. चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में न होकर निर्वाचन आयोग के अधीन काम
करते हैं।

प्रश्न (5).चुनाव में लोगों की भागीदारी का वर्णन कीजिए।
उत्तर. चुनाव में लोगों की भागीदारी के बारे में कुछ निष्कर्ष इस प्रकार हैं
1. चुनाव में लोगों की भागीदारी का पैमाना आमतौर पर मतदान करने वाले लोगों के आंकड़े को बनाया
जाता है।
2. मतदान की योग्यता रखने वाले कितने प्रतिशत लोगों ने असल में मतदान किया।
3. भारत जैसे देश में बड़े लोगों की तुलना में गरीब, निरक्षर और कमजोर लोग ज्यादा संख्या में मतदान
करते है।
4. भारत में आम लोग चुनावों को बहुत महत्व देते हैं। उन्हें लगता है कि चुनाव के जरिये वे राजनैतिक
दलों पर अपने अनुकूल नीति और कार्यक्रमों के लिये दबाव डाल सकते हैं।



अर्थशास्त्र
अध्याय-1
पालमपुर गाँव की कहानी
निर्देशः इस अध्याय से एक लघुउत्तरीय प्रश्न ५ अंक का होगा।
लघुत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न पर 4 अंक)
प्रश्न (1).भौतिक पूंजी क्या है ? इसके विभिन्न प्रयोग को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर. भौतिक पूंजी एक प्रकार की संपत्ति है जिसका उपयोग उत्पादन या निर्माण प्रक्रिया में किया जाता है।
उदा.- किसान का हल से लेकर परिष्कृत मशीने-जैसे- जनरेटर, टरबाइन, कम्प्यूटर आदि आते हैं।

प्रश्न (2).हरित क्रांति क्या है ? इसने भारत की खाद्यान समस्या को कैसे दूर किया ? समझाइए।
1. हरित क्रांति का आशय कृषि उत्पादन में उस तीव्र वृद्धि से है, जो अधिक उपज देने वाले बीजो,
रासायनिक उर्वरकों व नई तकनीक के प्रयोग के परिणाम स्वरुप हुई है। हरित क्रांति से कृषि में नवीन
मशीनों, जैसे-ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, ट्यूबवेल पंप आदि के प्रयोग से खाद्यान समस्या दूर हुई।
2. हरित क्रांति से आशय फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होना।
2. नलकूपों से सिंचाई के कारण भूमि जल के सतत् प्रयोग से भौम जल स्तर कम हो गया।
उत्तर

प्रश्न (3). उत्पादन का उद्देश्य क्या है? वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादक के लिये आवश्यक कारकों को समझाइये।
उत्तर. उत्पादन का उद्देश्य ऐसी वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित करना है जिसकी हमें आवश्यकता है।
वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादक के लिये आवश्यक कारक -
(i) भूमि (ii) श्रम (iii) पूंजी (iv) संगठन
भूमि -प्राकृतिक संसाधन माना गया है।
श्रम -शारीरिक कार्य में लगे सवैतनिक व्यक्तियों का कार्य
पूंजी:-उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर अपेक्षित कई तरह के आगत।
संगठनः-उत्पादन कार्य के लिये भूमि. श्रम पूंजी को एक साथ करने योग्य बनाने के लिये ज्ञान और उद्यम
की आवश्यकता।

प्रश्न (4).हरित क्रांति की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं। ये पारंपरिक कृषि से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर 1. अधिक उपज वाले बीजों के द्वारा खेती के तरीके बतायें।
1. एक ही पौधे से ज्यादा मात्रा में अनाज पैदा होना बतायें।
2. रासायनिक खाद का प्रयोग होने लगा।
3. कषि क्षेत्र में हुये गुणात्मक सुधार से कृषि क्षेत्र का विकास हुआ।
हरित क्रांति पारंपरिक कृषि से निम्नलिखित प्रकार से भिन्न है -
1. मुख्य तौर पर हरित क्रांति देश में कृषि में उत्पादन को बढ़ाने के लिये लागू की गई एक नीती थी।
जबकि पारंपरिक बीजों से पारंपरिक कृषि की जाती थी।
2 पारंपरिक बीजों के स्थान पर Hyvsके प्रयोग में सिंचाई के लिये अधिक पानी, उर्वरक कीटनाशक की
आवश्यकता होती थी।

प्रश्न (5). रासायनिक उर्वरक मिट्टी एवं भौम जल, नदियों के पानी को किस तरह प्रभावित करते हैं? पंजाब में
रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर. रासायनिक उर्वरकों के अधिक प्रयोग से -
1. मिट्टी की उर्वरता कम हो गई।
2. नलकूपों से सिंचाई के कारण भूमि जल के सतत् प्रयोग से भौम जल स्तर कम हो गया।
3. पर्यावरणीय संसाधन नष्ट होने लगे।
4. पंजाब में रासायनिक खाद के निरंतर प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता को कम कर दिया है। पहले की
अपेक्षा खेती की लागत बहुत तेजी से बढ़ रही है।

प्रश्न (6) उत्पादन का उद्देश्य क्या है? वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादक के लिये आवश्यक काराकों को समझाइये।
उत्तर. उत्पादन का उद्देश्य-ऐसी वस्तुएं एवं सेवाएं उत्पादित करना जिसकी हमें आवश्यकता होती है।
उत्पादन के आवश्यक कारक-1. भूमि 2. श्रम
3.पूंजी 4. संगठन
1. भूमि-यह उत्पादन का प्राकृतिक तथा स्थिर साधन है। प्राकृतिक संसाधन जैसे-जल, वन, खनिज
अम-प्रत्येक श्रमिक उत्पादन के लिये अपना श्रम प्रदान करता है।
3. पूंजी-उत्पादन के लिये तीसरी आवश्यकता भौतिक पूंजी है अर्थात् उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर
अपेक्षित कई तरह के आगत जैसे- औजार, मशीन, भवन
4. संगठन-उत्पादन, भूमि, श्रम और पूंजी को संयोजित करके संगठन होता है।

प्रश्न (7) खेती के आधुनिक एवं पारंपरिक तरीकों में कोई चार अंतर बताईए।
उत्तर.
आधुनिक खेती तरीका
पारंपरिक खेती तरीका
1. मशीनों द्वारा खेती की जाती थी
1 हलों के माध्यम से बैलों द्वारा खेती की जाती थी
2 जैविक खेती ज्यादा नहीं होती
2 जैविक खेती ज्यादा होती थी
3 स्वास्थ्य के लिये ज्यादा अच्छी नहीं मानी जाती 3. स्वास्थ्य के लिये अच्छी मानी जाती थी।
(रासायनिक खाद के अत्यधिक प्रयोग के कारण)
4 सिंचाई के साधनों में नलकूपों, ट्यूबवेल का प्रयोग किया 4. संचाई के साधनों में नदी एवं कुँओं का प्रयोग किया जाता था।
5 तुलनात्मक रुप से खेती में उत्पादन अधिक होता था 5. पांरपरिक तरीकों में उत्पादन अपेक्षाकृत कम होता था


प्रश्न (8) - आपके क्षेत्र में कौन-कौन स गैर कृषि उत्पादन कार्य होते हैं ? संक्षिप्त सूची बनाइये।
उत्तर-
1. कृषि से उत्पादित सब्जियों/फलों को मंडी में बेचना।
2. दुकानदारी
3. कंप्यूटर शॉप
4. बैंक
5. स्वसहायता समूह के कार्य आदि
6. गन्ना खरीद कर गुड बनाना
7. पशुपालन
8. मुर्गीपालन
9. मछलीपालन
10. डेयरी उद्योग (दूध, दही, पनीर)

अध्याय-2
संसाधन के रुप में लोग

निर्देशः इस अध्याय से एक लघुउत्तरीय प्रश्न 04 अंक का होगा।
लघुउत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न पर 04 अंक निर्धारित है)
प्रश्न (1) शिक्षा किस प्रकार मानव पूंजी निर्माण का आवश्यक घटक है, समझाइए।
उत्तर. 1. शिक्षा व्यक्ति को अधिक कुशल बनाकर उसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि करती है।
2. शिक्षा व्यक्तियों की आर्थिक विकास की प्रकिया में सक्रिय भागीदारी द्वारा आर्थिक विकस की दर को
बढ़ाती है।
3. शिक्षा सभी व्यक्तियों की मानसिक क्षमता को बढ़ाती है।
प्रश्न (2).मानव पूंजी और भौतिक पूंजी में अंतर बताइए।
उत्तर. मानव पूंजी और भौतिक पूंजी में निम्नलिखित अंतर है -
मानव पूंजी   भौतिक पूंजी
1. मानव पूंजी से आशय कर्मचारी द्वारा संगठन में 1. भौतिक पूंजी से आशय कंपनी की मानवीय संपत्ति
लाई गई ज्ञान, प्रतिभा, कौशल और क्षमताओं
से है।                                                                        के भंडार से है।
2. मानव ने अपने ज्ञान के आधार पर पूजी को 2. भौतिक पूजी अपने समयानुसार परिवर्तित होती गयी
विकसित किया
जैसे-आदिमानव के समय औजार और आधुनिक
औजार

प्रश्न (3). प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते है ? प्रच्छन्न और मौसमी बेरोजगारी में क्या अंतर है?
उत्तर. जब कोई शारीरिक व मानसिक रुप से स्वस्थ व्यक्ति कार्य करने को इच्छुक हो लेकिन उसे काम न मिले
तो इसे खुली या प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं।
प्रच्छन बेरोजगारी
मौसमी बेरोजगारी
1.जब श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन ये बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में पायी जाती है।
उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं होता। कृषि कार्य समाप्त होते ही लोग बेरोजगार हो जाते
हैं
2.इसे आंशिंक या अल्प बेरोजगारी भी कहते हैं 2. इसमें वर्ष के निश्चित समय पर बेरोजगार होते हैं।
3.इस बेरोजगारी में किसी विशेष आर्थिक क्रिया में 3. ये बेरोजगारी उन उद्योगों में कार्यरत् है जो पूरे
उत्पादन हेतु आवश्यकता से अधिक मात्रा में वर्ष सामान्य वस्तुओं या सेवाओं का उत्पादन नहीं
श्रमिकों के लगे होने से है।
करते हैं।


प्रश्न (4).बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं ? शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिये एक विशेष समस्या क्यों है?
उत्तर. जब प्रचलित मजदूरी की दर पर काम करने के लिये इच्छुक लोगों को रोजगार नहीं मिलता है तो उसे
बेरोजगारी कहते हैं।
1. शहरी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण रोजागार केन्द्रीय शिक्षा का अभाव है।
2. शिक्षित लोगों के साथ जो कार्य करने के इच्छुक हैं और सार्थक रोजगार प्राप्त करने में समर्थ नहीं है। यह
एक बड़ा सामाजिक उपव्यय है।


प्रश्न (5). मानवीय पूंजी निर्माण का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास में इसका क्या महत्व है?

उत्तर. जब इस विद्यमान मानव संसाधन को और अधिक शिक्षा स्वास्थ्य द्वारा और विकसित किया जाता है, तब

हम इसे मानव पूंजी निर्माण कहते है।

आर्थिक विकास की प्रक्रिया को गतिशील करने में गुणात्मक घटकों को बहुमूल्य योगदान होता है। मानवीय

पूंजी निर्माण में विनियोग से श्रम की कार्यकुशलता में भी वृद्धि होती है।

प्रश्न (6).भारत में मानव पूंजी निर्माण का स्तर निम्न होने के क्या कारण हैं ?

उत्तर. भारत में मानव पूंजी निर्माण का स्तर निम्न होने के निम्नलिखित कारण हैं

1. निजी क्षेत्रों के रुचि न लेने के कारण स्तर निम्न हुआ।

2. भारत में लोगों के परंपरागत व रुढ़िवादिता से ग्रस्त होने के कारण

3. नई तकनीक को अपनाने में बाधा उत्पन्न होने के कारण।

4. कृषि में निम्न उत्पादकता के कारण।

1. जनसंख्या में वृद्धि के कारण।

प्रश्न (7).मानव पूंजी किसे कहते हैं? मानव पूंजी निर्माण के स्त्रोत बताइए।

उत्तर. मानव पूंजी का अर्थ-“मानवीय संपत्ति मानव पूंजी ज्ञान, कौशल, अनुभव और सामाजिक गुणों का योग

मानव पूंजी निर्माण के स्त्रोत निम्नलिखित हैं -

1. आंतरिक स्त्रोत2. बाह्य स्त्रोत

1. आंतरिक स्त्रोत का अर्थ व उदाहरण:-"आंतरिक स्त्रोत का अर्थ किसी देश की अर्थव्यवस्था के अंदर से

है।" उदा-शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण।

2. बाह्य स्त्रोत का अर्थ व उदाहरण:-"बाह्य स्त्रोत का अर्थ किसी देश की भौगोलिक सीमा के बाहर की

अर्थव्यवस्था से है।" उदा-जब व्यक्ति अन्य देशों में जाकर अपनी योग्यता को बढ़ाते हैं, विदेशों से कुशल

प्रशिक्षक को बुलाकर अपने यहाँ के लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है।


अध्याय-3

निर्धनता : एक चुनौती

लघुउत्तरीय प्रश्न (प्रत्येक प्रश्न पर 04 अंक निर्धारित है)

प्रश्न (1).निर्धनता का क्या अर्थ है ? भारत में निर्धनता के तीन कारण लिखिये।

उत्तर. उस रासायनिक प्रक्रिया से है जिसमें मनुष्य अपने जीवन की आधारभूत या बुनियादी आवश्यकताओं को भी

पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाता।

रत में निर्धनता के निम्नलिखित कारण हैं

1. राजनीतिक एवं प्रशासनिक कारण –भारत दीर्घकाल तक विदेशी शासकों के हाथ में रहा जिसके कारण

भी हमारे देश का आर्थिक विकास नहीं हो सका और प्रति व्यक्ति आय कम रही।

2. औपनिवेशिक सरकार की नीतियों पारंपरिक हस्तशिल्पकारी को नष्ट कर दिया।

3. वस्त्र जैसे उद्योगों के विकास को हतोत्साहित किया।

4. रोजगार के अवसर घटे और आय की वृद्धि दर गिरी।

5. जनसंख्या वृद्धि ने प्रति व्यक्ति आय की संवृद्धि दर को कम कर दिया।

प्रश्न (2) भारत में निर्धनता उन्मूलन हेतु किसी एक कार्यक्रम को समझाइये।

उत्तर. भारत में निर्धनता उन्मूलन हेतु निम्नलिखित कार्यक्रम चलाया गया-

यह एक रोजगार योजना है। महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम 2005 (मनरेगा) इस

योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र आजीविका सुरक्षित करने के लिये हर घर के लिये मजदूरी रोजगार

कम से कम 100 दिनों के लिये उपलब्ध कराना है।

मनरेगा योजना - 2. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण भारत में प्रतिवर्ष न्यूनतम 100 दिनों के भुगतान कार्य

की गारंटी देकर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।

प्रश्न (3).भारत में निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों की असफलताएं लिखिये।

उत्तर 1. इन कार्यक्रमों के असफल होने का एक मुख्य कारण उचित कार्यान्वयन और सही लक्ष्य निश्चित करने

की कमी रही।

2. कुछ योजनाएं परस्पर रुप से व्यापक थीं।

3. इन योजनाओं के लाभ पात्र निर्धनों को पूरी तरह नहीं मिल पाये।


प्रश्न (4).निर्धनता दूर करने के उपाय बताइये।

उत्तर. भारत में निर्धनता को दूर करने के निम्नलिखित उपाय हैं

सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिये को प्रेरित करना।

2. उद्योग के लिये ऋणों पर ब्याज माफ करने पर विचार।

3. ग्रामीण एवं कुटीर उद्योग व हस्तशिल्पकारी का विकास किया जाना चाहिए।

प्रश्न (5) भारत में निर्धनता रेखा का आंकलन कैसे किया जाता है?

उत्तर. भारत में निर्धनता रेखा का आंकलन करते समय जीवन निर्वाह के लिये खाद्य आवश्यकता, ईंधन, प्रकाश,

शैक्षिक एवं चिकित्सा संबंधी आवश्यकताओं पर विचार किया जाता है। खाद्य आवश्यता के लिये खाद्य

वस्तुएं जैसे-अनाज, दालें, सब्जियाँ, दूध, तेल, शक्कर, आदि मिलकर आवश्यक कैलोरी की पूर्ति करती हैं।

भारत में स्वीकृत कैलोरी आवश्यकता - ग्रमीण क्षेत्रो में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन है एवं शहरी

क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन है।

प्रश्न (6).वैश्विक निर्धनता की प्रवृत्तियों की चर्चा करें।

उत्तर. विश्वव्यापी अनुभव बताते हैं कि विकास के साथ निर्धनता की परिभाषा भी बदलती है।

वैश्विक निर्धनता में गिरावट आयी है, विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार कुल आबादी का 35.5% अभी भी

गरीबी रेखा से नीचे रह रहा है।

प्रश्न (7) भारत में निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों को लिखिये।

उत्तर. भारत में गरीबी उन्मूलन के लिये सरकार द्वारा कुछ योजनाएं शुरु की गयी -

1. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम 2005 योजना (मनरेगा)

2. प्रधानमंत्री रोजगार योजना

3. स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना

4. प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना

5. अंत्योदय अन्न योजना

प्रश्न (8).सापेक्ष निर्धनता से क्या आशय है ?

उत्तर. 1. सापेक्ष निर्धनता आय में पायी जाने वाली असमानताओं को प्रकट करती है।

2. सापेक्ष निर्धनता से आशय अंर्तराष्ट्रीय आर्थिक असमानताओं का बोध कराने से है।

3. विभिन्न वर्गों, विभिन्न प्रदेशों अथवा विभिन्न देशों की तुलनात्मक आय का प्रदर्शन सापेक्ष निर्धनता है।

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