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छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल, रायपुर
शैक्षणिक सत्र 2021-22 माह सितम्बर
असाइनमेंट-02
कक्षा दसवीं
विषय हिन्दी
पूर्णांक-20
निर्देश :- दिए गए सभी प्रश्नों को निर्देशानुसार हल कीजिए।
Instruction - Attempt all the questions as per given instructions.
प्रश्न 1 अन्य बच्चों की माँ, बुआएँ तथा दादी-नानी उन्हें घीसा से दूर रहने की हिदायत क्यों देती थी? आज के संदर्भ में क्या ऐसा व्यवहार करना उचित है?
अन्य बच्चों की मां,बुआए तथा दादी-नानी उन्हें घीसा से दूर रहने की हिदायत इसलिए देती थी
क्योंकि घीसा के जन्म के 6 माह पहले उनके पिता गया था लोग उसे अभागा समझ कर
उनसे दूर रहने कहते थे। की मृत्यु जन्म के 6 माह पहले
प्रश्न 2 (अ) "माटीवाली" का कंटर किस प्रकार का था?
(ब) "माटीवाली कहानी के अंत में लोग अपने घरों को छोड़कर क्यों जाने लगे थे?
शहरवासी माटी वाली तथा उसके कंटर को इसलिए जानते होंगे क्योंकि लाल मिट्टी की जरूरत चूल्हे-चौके की
लिपाई के लिए हर घर की थी। पूरे टिहटी शहर में घर-घर में लाल मिट्टी देने का काम करने वाली वह अकेली थी।
उसका कोई प्रतिद्वंदी नहीं था। इसलिए सभी उसके ग्राहक थे। चूँकि उसका कनस्तट बिना ढक्वज का था जो ऊपर से खुला रहता था इसलिए लोग उसके कनस्तर को भी पहचानते थे।
प्रश्न 3 (अ) टैक्स को 'बीमारी' के रुप में देखने का क्या आशय है?
(ब) निम्न शब्दों का समास विग्रह कर समास का नाम लिखिए।
(i) कोपाकुल (ii) गूढ प्रश्न
टैंक्स पीड़ित को इससे छुटकारा नहीं मिल सकता है इसीलिए लेखक इसे बीमारी स्वरूप मानते
हैं। टैक्स बीमारी नहीं आवश्यकता है, जिन पर टैक्स लगता है वह उनकी आय का प्रमाण देता है, अतः टैक्स
देने में इंकार नहीं होना चाहिए।
प्रश्न 4 (अ) जब जनता की भौंहे क्रोध में तन जाती हैं, तो क्या-क्या होता है?
(ब) जनता की सहन शीलता के कवि दिनकर जी ने क्या-क्या उदाहरण दिए हैं? लिखिए।
जब जनता की भौंहें क्रोध में तनती है, तो परिवर्तन की आँधी चलने लगती है। धरती हिल जाती है और तूफान उठने लगती है।
जनता की सहनशीलता के उदाहरण देते हुए कवि कहते हैं कि वह मिट्टी की तरह अबोध है। चाहे जितनी भी पीड़ा सहनी पड़े वह मुँह नहीं खोलेगी। सब कुछ चुपचाप सहन कर लेगी।
प्रश्न 5 अधोलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
हमारे समाज में बहुत से लोग भाग्यवादी हैं। ऐसे लोग समाज की प्रगति में बाधक होते हैं। आजतक किसी भाग्यवादी ने समाज में कोई महान कार्य नहीं किया। बड़ी-बड़ी खोजे, बड़े-बड़े अविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण श्रम के द्वारा ही संपन्न हो सके हैं। हमारे साधन हमारी प्रतिभा श्रम के बिना व्यर्थ है। श्रम करके ही प्रतिभा संपन्न कलाकारों ने देश को विभिन्न कलाओं से सुसज्जित किया, जो आज हमारी धरोहर है। जब हम अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए श्रम करते हैं, तो हमारे मन को एक ऐसी तृप्ति अनुभव होती है, ऐसा आनंद मिलता है, जिसका वर्णन शब्दों से परे है। भला हमें श्रम करना चाहिए। श्रम करने वाले लोग दीर्घजीवी होते हैं, वे समाज का उन्नयन करते हैं, वे देश का उत्थान कर विश्व में अपना व अपने देश का नाम अमर कर जाते हैं ।
प्रश्न 1. भाग्यवादी लोग समाज की प्रगति में किस प्रकार बाधक होते है?
प्रश्न 2 हमारे साधन कब व्यर्थ होते है?
प्रश्न 3. प्रतिभासम्पन्न कलाकारों की सफलता का रहस्य क्या है?
प्रश्न 4. हमें श्रम क्यों करना चाहिए?
प्रश्न 5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए?
प्रश्न: 1.भाग्यवादी लोग समाज की प्रगति में किस प्रकार बाधक होते हैं ?
उत्तरः
भाग्यवादी लोग भाग्य के सहारे रहकर परिश्रम से जी चुराते हैं। उनकी भाग्यवादिता दसरों में भी अकर्मण्यता पैदा करती है। वे समाज के लिए कोई महान कार्य नहीं करते हैं, इसलिए ऐसे लोग समाज की प्रगति में बाधक होते हैं।
प्रश्न: 2. हमारे साधन कब व्यर्थ साबित होते हैं ?
उत्तरः
जब तक व्यक्ति में परिश्रम करने के प्रति लगन न हो, किसी काम को करने की प्रतिभा न हो, तब तक व्यक्ति काम में मन नहीं लगाता। अतः श्रम करने की इच्छाशक्ति और प्रतिभा के अभाव में साधन बेकार हो जाते हैं।
प्रश्न: 3.. प्रतिभासंपन्न कलाकारों की सफलता का रहस्य क्या है?
उत्तरः
प्रतिभासंपन्न कलाकारों को सफलता का रहस्य उनकी जन्मजात प्रतिभा तो है ही, इसके अलावा उनका परिश्रमी स्वभाव भी है, जिसके कारण वे काम में जुटे रहते हैं।
प्रश्न: 4. हमें श्रम क्यों करना चाहिए?
उत्तरः
श्रम करने से व्यक्ति को अवर्णनीय आनंद मिलता है, हमारे मन को तृप्ति का अनुभव होता है तथा श्रम करके हम समाज की उन्नति में अपना अमूल्य योगदान देते हैं, इसलिए हमें श्रम करना चाहिए।
प्रश्न: 5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
शीर्षक-श्रम की महत्ता या उन्नति का मूल-परिश्रम।
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